लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव पर सभी की नजर है कि उन्हें नई नीतीश-तेजस्वी सरकार में कौन सा विभाग बतौर मंत्री मिलता है। वे बिहार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर तेजप्रताप यादव कई बार औचक ही अस्पतालों में निरीक्षण करने पहुंच जाते थे।जब तेजप्रताप यादव स्वास्थ्य विभाग में मंत्री नहीं रह गए थे, तब भी अस्पताल में मरीजों का हाल जानने पहुंच जाते थे। हाल में पीएमसीएच की नर्सिंग छात्रों को छात्रावास से हटा कर दूसरी जगह भेजा जा रहा था, उस समय भी तेजप्रताप यादव ने सरकार के फैसले का विरोध किया था और नर्सों के समर्थन में खड़े हुए थे।

उन्हें जरूरतमंदों की मदद करना अच्छा लगता है
तेजप्रताप यादव ने राजद के एक बड़े आयोजन में जिसमें कई बड़े नेता मौजूद रहे मंच से कह दिया था कि वे कोरोना के समय लोगों की मदद के लिए फोन कर रहे थे और उनका फोन नहीं उठाया जा रहा था। मदद के लिए पहुंचे लोगों की मदद करना उन्हें अच्छा लगता है। किसी के पिता, किसी की मां या किसी के बेटे-बेटी का इलाज ठीक से नहीं हो रहा होता हो और इस वजह से कोई उनसे मिलकर फरियाद करता है कि अस्पताल को फोन कर दें तो तेजप्रताप तुरंत अस्पताल में फोन कर मरीज की मदद करते रहे हैं।

तेजप्रताप यादव का समझा-बूझा हुआ विभाग है स्वास्थ्य
वर्ष 2022-23 का बिहार बजट 2 लाख 37 हजार 691 करोड़ का है। इसमें शिक्षा का बजट 39191.87 करोड़ रुपए का जबकि स्वास्थ्य विभाग का बजट है 16134.39 करोड़ रुपए का है। शिक्षा और स्वास्थ्य दो ऐसे विभाग हैं जिस पर सब की नजर है। शिक्षा विभाग नीतीश कुमार अपनी पार्टी के पास ही फिर से रखेंगे इसकी पूरी उम्मीद है। स्वास्थ्य विभाग राजद के कोटे में जा सकता है।स्वास्थ्य विभाग तेजप्रताप यादव का समझा-बूझा हुआ विभाग है। उन्हें यह विभाग फिर से मिलता है तो वे ज्यादा से ज्यादा लोगों का कल्याण कर सकते हैं! बजट के लिहाज से भी यह भारी भरकम विभाग माना जाता है। एनडीए की सरकार में भाजपा के वरिष्ठ नेता मंगल पांडेय के पास यह विभाग था।

कोरोना काल में कई तरफ से सवाल उठे लेकिन विभाग के अफसर भले बदले पर मंगल पांडेय बने रहे। तेजप्रताप यादव जब स्वास्थ्य मंत्री थे उस समय दवाओं की मंडी गोविंद मित्रा रोड में कई बड़े दुकानदारों के यहां छापेमारी हुई थी। लेकिन नई जानकारी है कि अभी मध्यम दर्जे के कई दुकानदार परेशान हैं।



