मुजफ्फरपुर जिले के ब्रह्मपुरा थाना में तैनात महिला सिपाही कविता कुमारी की संदिग्ध हालत में हुई मौत का मामला गरमाने लगा है। जितनी आसानी से इसे सुसाइड बताकर केस को रफा दफा करने की कोशिश पुलिस विभाग की तरफ से की गई। उतना ही यह मामला पेचीदा होता जा रहा है। दरअसल, कविता 96 लाख लूट के केस में अनुसंधान के सिलसिले में पुणे गयी थी। उसके साथ दरोगा ओम प्रकाश समेत चार पुलिस जवान थे।

वहीं पुणे के एक होटल के कमरे में उसका शव पंखे से लटकता हुआ मिला था। कविता के पति भूपेंद्र कुमार को वहां से इस घटना की जानकारी फोन कर दी गयी। यहां से पति और उसके पिता ब्रजेश कुमार पुणे पहुंचे। तबतक होटल से लाश निकाला जा चुका था। कागजी प्रक्रिया पूरी हो गयी थी। सोमवार देर शाम उसकी लाश लेकर परिजन मुजफ्फरपुर स्थित पुलिस लाइन पहुंचे। जहां उसे श्रद्धांजलि दी गयी। SSP जयंतकांत, टाउन DSP रामनरेश पासवान समेत तमाम पुलिस पदाधिकारी मौजूद रहे।


पति ने उठाये कई सवाल
कविता के पति ने इस मामले में कई सवाल उठाए हैं। कहा कि वह डेढ़ महीने की प्रेग्नेंट थी। वह कई दिनों से बीमार थी। बावजूद इसके उसे ड्यूटी पर जबरन कमान काटकर भेज दिया गया। यह सरासर अन्याय है। घटना के पहले उनकी बात कविता से करीब एक घन्टे तक हुई थी। उसने कहा कि वह बीमार है। उसे खाना भी नहीं दिया जा रहा है। रहने की भी व्यवस्था बढ़िया नहीं है। वह अकेली महिला सिपाही है और चार पुरुष पुलिस पदाधिकारी हैं। इस कारण वह और भी असहज महसूस कर रही है।

पति ने समझाया और फिर आयी मौत की खबर
भूपेंद्र ने उसे समझाकर किसी तरह मन को तसल्ली दी। लेकिन, ये बात उन्हें भी खटक रही थी कि आखिर एक बीमार महिला और उसमें भी प्रेग्नेंट को क्यों जबरन ड्यूटी पर भेजा गया। यही सोचते हुए रात कट गई। अगले दिन वहां से कॉल आया कि उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। ये बात परिजन को नहीं हजम हुई। जब कोई विवाद ही नहीं था तो फिर वह क्यों सुसाइड करेगी।

मानसिक दबाव की बात बोल रहे पिता
पिता ब्रजेश कुमार ने कहा कि हमलोगों को पहले शक था उसकी हत्या हुई है। लेकिन, ये तो जांच का विषय है। हालांकि, उनकी बातों से लगा कि जैसे ही वे कुछ बोलना चाह रहे हैं पर बोल नहीं पा रहे हैं। लेकिन, बोलते-बोलते उनके जुबान से निकल गया कि वह मानसिक दबाव में थी। हालांकि फिर उन्होंने जल्द दूसरी बात शुरू कर दी।

पैर था पलंग से सटा हुआ
पति ने बताया कि जब पुणे गए तो वहां सुसाइड की बात बताई। उन्होंने इसका खंडन किया। कहा कि वह ऐसी नहीं थी कि सुसाइड कर लेगी। फिर उन्हें तस्वीर दिखाई गई। जिसे देखकर प्रतीत हुआ कि कविता का पैर पलंग से बिल्कुल सटा हुआ था। जब उन्होंने सवाल उठाया तो पुणे पुलिस ने दूसरे सुसाइड केस का फ़ोटो दिखाया। इसमें एक व्यक्ति के गले मे फंदा बंधा हुआ था और वह फर्श पर घुटने के बल झुका हुआ था। पुणे पुलिस ने कहा कि सभी सुसाइड केस में जरूरी नहीं है कि पैर ऊपर ही हो। पीड़ित का कहना है कि किसी तरह उनलोगों को इधर-उधर की फ़ोटो दिखाकर और कहानी सुनाकर उलझा दिया गया। वहां की पुलिस और न मुजफ्फरपुर पुलिस से कोई सहयोग मिला।

पुलिस पदाधिकारियों ने साधी चुप्पी
पुलिस लाइन में परिजन और महिला सिपाहियों के साथ हल्का विवाद भी हुआ। वहीं इस पूरे मामले में कोई भी पुलिस पदाधिकारी कुछ बोलने से बच रहे हैं। कविता के पति का कहना है कि हमलोगों के पहुंचने से पहले दरोगा ओम प्रकाश ने वहां के थाने में सुसाइड बताकर आवेदन दे दिया। लाश निकालने का कोई वीडियो भी नहीं है। परिजन के बयान और पुलिस अधिकारियों की चुप्पी से कविता के साथ गए पुलिस जवान व दरोगा संदेह के घेरे में हैं।