जमुई में एक ऐसा गांव है जहां के लोग पहाड़ से निकलने वाली पानी पर निर्भर है। इसी पानी से अपने रोजमर्रा का काम करते हैं और इसी से अपनी प्यास भी बुझाते हैं। यहां के लोग बूंद-बूंद पानी को सहेजते हैं, क्योंकि इस गांव में पहाड़ से गिरने वाला पानी ही एक मात्र जलस्रोत है। हम बात कर रहे हैं बरहट प्रखंड के भट्ठा गांव आदिवासी बस्ती की। जहां की आबादी 250 से 300 है।

इस गांव में नल जल योजना पहुंचा ही नहीं, दो सरकारी नल है जो बंद पड़े हैं। ऐसे में ग्रामीणों को मजबूरन 2 किलो मीटर की दूरी तय कर पहाड़ की तलहटी से गिरने वाले पानी से अपनी प्यास बुझानी पड़ती है। इसी पानी से सारा काम होता है। नहाने से लेकर खाना बनाने तक। घर की महिलाएं तीन समय पानी लाने के लिए जाती हैं। एक बार पानी लाने में करीब एक से दो घंटे का समय लग जाता है।

भट्ठा गांव के लोगों को पीने की पानी भी नसीब नहीं हो रहा। घर की महिलाएं और बच्चियां पहाड़ी से बर्तन में पानी भरकर लाती हैं। इससे परिवार के सारे लोगों की प्यास बुझती है। इस पानी को लाने में महिलाओं को हर दिन सुबह, दोपहर, शाम घंटे दो घंटे जद्दोजहद करनी पड़ती है।


ग्रामीण बोले- कई सरकारी योजनाएं अबतक गांव में नहीं पहुंची
गांव की महिलाएं कर्मी देवी, मीना देवी बताती हैं जब से शादी करके आए हैं तभी से पानी ला रहे हैं। अब हमलोग भी बूढ़े होने वाले हैं, लेकिन गांव में नल का पानी नहीं आया। नल है जो सिर्फ शोभा की वस्तु है, इस उम्र में भी 2 किलोमीटर चलकर पानी लाना पड़ता है। मुखिया, सरपंच सिर्फ वोट के समय आते हैं। बड़े-बड़े वादे करते हैं लेकिन जीतने के बाद कोई देखने नहीं आता।

गांव में सहदेव मुर्मू ने बताया कि हमारे पूर्वज भी इसी पहाड़ से पानी लेते थे। उन्हाेंने बताया कि मेरे पिता जी, दादा जी दशकों पहले यही से पानी ले जाते थे। गांव में नल जल योजना नहीं आई, ना आंगनबाडी और ना ही स्कूल। सरकार की कोई योजना इस गांव तक नहीं पहुंचा। सबसे बड़ी बात यह पानी सालोभार बहता रहता है।


क्या कहते हैं मुखिया
इस मामले में पाड़ो पंचायत के मुखिया अमित कुमार निराला ने बताया कि गांव में पानी की समस्या काफी वर्षों से है। गांव में जाकर देखे हैं। जैसे सरकार की तरफ से काम का नया गाइड लाइन आएगा। सबसे पहले उस गांव में पानी की व्यवस्था करेंऐ। मुखिया ने बताया कि उस गांव में और कई तरह की समस्याएं हैं। इसे जल्दी सुलझा दिया जाएगा। इसे लेकर अधिकारियों से भी बात हुई है।
