कभी नक्सल प्रभावित रहा इलाका आज पर्यटकों से गुलजार:80 मीटर की ऊंचाई से गिरता है पानी

90 के दशक कैमूर जिले के अधौरा प्रखंड की पहचान नक्सल प्रभावित के रूप में था। लोग इसे लाल गलियारा कहा करते थे। उस दौर में सरकारी कर्मचारी नियमित उस इलाके में अपनी ड्यूटी नहीं करते थे। वह इसलिए कि एक तरफ से नक्सलियों का कब्जा था। लेवी की चर्चाएं अक्सर सामने आती थी। कैमूर की पहाड़ियां एक तरफ उत्तर प्रदेश के सोनभद्र और नजदीक के मध्य प्रदेश तो दूसरी तरफ झारखंड से जुड़ी है।

यह भी बात सही है कि उन दिनों अधौरा नक्सलियों का हब था। लेकिन आज की तारीख में अपनी प्राकृतिक खूबसूरती की वजह से पर्यटकों के लिए लोकप्रिय है। भभुआ अधौरा मार्ग पर स्थित तेलहर कुंड जो दुर्गम पहाड़ियों से घिरा हुआ है उसे नजदीक से निहारने के लिए काफी संख्या में पर्यटक बरसात के मौसम में पहुंच रहे हैं। इस जलप्रपात की खासियत यह है कि 80 मीटर ऊंचाई से इसका पानी नीचे गिरता है। इस जलप्रपात का पानी बारहमासी शीतल रहता है। दुर्गम पहाड़ियां बरसात के दिनों में अपनी हरियाली की वजह से बेहद खूबसूरत लगती हैं।

गौरतलब है कि कैमूर हिल्स करीब पांच सौ किलोमीटर लंबी विंध्य पहाड़ियों का एक हिस्सा है। बिहार के रोहतास और कैमूर जिले के आसपास फैले इस कैमूर हिल्स में बहने वाली नदियां यहां की पहाड़ियों से बेहद खूबसूरत दिखाई देती हैं। यहां के अनोखे जलप्रपातों की अलौकिक खूबसूरती और दुर्गम घाटियों के विहंगम दृश्य आपको सुकून के साथ रोमांच से भर देते हैं।

बाहर से आने वाले कई पर्यटक कैमूर हिल्स को सिर्फ कैमूर जिले से जोड़ कर देखते हैं लेकिन यह खूबसूरत हिल्स कैमूर के साथ रोहतास जिले में भी पड़ता है। प्रकृति प्रेमियों के लिए यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं है।

यहां की जैव विविधता, पंछी और जंगली जानवर, मंदिर, किले और प्राकृतिक जलप्रपात आपके सफर को जीवन भर यादगार रखने वाला बना देता है। कैमूर हिल्स की पहाड़ों और खूबसूरत जंगलों के बीच स्थित तेल्हर कुंड वाटरफॉल, तुतला भवानी झरना, कशिश जल प्रपात, मांझर कुंड, और करकटगढ़ जल प्रपात देखकर आप कैम्प्टी फॉल या देहरादून- मसूरी की खूबसूरती को भूल जाएंगे।

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