अयोध्या में दीपोत्सव 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा। तैयारियां अभी से शुरू हो चुकी हैं। इस दफा 14.50 लाख दीप चलाने का टारगेट रखा गया है। घाट और मंदिरों में कुल 16 लाख दीप जलाए जाएंगे। इसकी रणनीति अभी से तैयार की जा रही है। दीपोत्सव के नोडल अधिकारी डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय की सलाहकार समिति के अध्यक्ष प्रो. अजय प्रताप सिंह बनाए गए हैं। इस बार भी सरयू के घाट पर लेजर लाइट की प्रेजेंटेशन होंगी।

अवध विश्वविद्यालय को इस बार भी जिम्मेदारी
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस भव्य समारोह में दीप जलाने की जिम्मेदारी इस बार भी अवध विश्वविद्यालय को सौंपी है। अवध विवि प्रशासन ने निर्धारित लक्ष्य से ज्यादा करीब 16 लाख दीप जलाने की योजना पर काम कर रहा है। ताकि तय लक्ष्य में कोई कमी न आ सके। दीप, बाती, तेल व भोजन समेत अन्य कार्यों के लिए ऑनलाइन टेंडर जारी किया जा रहा है।
54.4 हजार लीटर तेल से जलेंगे 16 लाख दिए
विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुसार 16 लाख दीपों को जलाने के लिए 55 हजार लीटर सरसों के तेज की आवश्यकता पड़ेगी। बीते वर्ष जलाए गए 9 लाख 41 हजार 551 दीप के लिए करीब 36 हजार लीटर सरसों के तेल लगे थे। इस बार लक्ष्य बढ़ने से घाटों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है।
पिछले बार के दीपोत्सव को सफल बनाने में 12 हजार स्वयंसेवियों के मुकाबले इस बार 16 हजार स्वयंसेवियों लगेंगे। 3 दिन तक स्वयंसेवियों को लंच की जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।

शुरू हो गया दीयों का निर्माण
रामनगरी के ग्राम शाहनवाज पुर में कुम्हारों को इस बार दीपोत्सव के लिए कोई औपचारिक ऑर्डर नहीं मिला है। लेकिन कुम्हार दीयों बनाना शुरू कर चुके हैं। हालांकि अभी दीप निर्माण में तेजी नहीं आई है। दीयों की आपूर्ति का ठेका पाने वाले विनोद कुमार कहते हैं कि जल्द ही दीयों के निर्माण में तेजी आएगी। तय अवधि में 16 लाख दीयों का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। इसके अलावा आसपास के शहरों के कुम्हार भी दिए बनाने में सहयोग कर रहे हैं।



