राजस्थान में लंपी की बीमारी गायों में महामारी का रूप ले चुकी है. लंपी से अब तक राजस्थान में 57 हजार गायों की मौत हो चुकी है और 11 लाख गायें बीमार हैं. इसका सीधा असर ये हुआ कि राजस्थान में दूध का उत्पादन चार लाख लीटर कम हो गया है. कई जिलों में 50 फीसदी तक दूध की आवक कम हो गई. नतीजा यह हुआ कि राजस्थान की सबसे बड़ी डेयरी सरस ने दूध 2 रुपये प्रति लीटर महंगा कर दिया है. घी का उत्पादन भी कम हो गया है. लंपी से हर गांव, हर घर में गायें रोज दम तोड़ रही हैं. बरना गांव से रोजाना 10 हजार लीटर दूध की सप्लाई हो रही थी. लंपी के कहर के बाद महज छह हजार लीटर ही दूध की सप्लाई हो रही है.
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जयपुर के पास बरना गांव में यह दुग्ध उत्पादक किसान महेंद्र शर्मा का गायों की बाड़ा है. बाड़े में 27 गायें थी, लेकिन पिछले कुछ दिनों में लंपी की बीमारी से 8 गायों की मौत हो गई. पांच अब भी लंपी की शिकार हैं. महेंद्र ने गायों के इलाज के लिए चक्कर काटे, लेकिन मदद नहीं मिली. महेंद्र ने ये गायें बैंक से लोन लेकर खरीदी थी. एक गाय की कीमत करीब 70 हजार रुपये थी. गायों की मौत के बाद महेंद्र के सामने लोन की किश्त चुकाना मुश्किल हो गया. लंपी की वजह से दूध भी घट गया है. महेंद्र पहले 150 लीटर दूध की सप्लाई कर रहा था और अब महज 75 लीटर दूध की सप्लाई करता है.

महेंद्र के पास ही एक दूसरे दुग्ध उत्पादक किसान के घर पहुंचे, तो उन्होंने बतायाकि लंपी की शिकार एक गाय ने हमारे सामने ही दम तोड़ा था. उन्होंने बताया कि तीन और गायें लंपी की बीमारी से जूझ रही हैं. 4 गायों की अब तक लंपी से मौत हो चुकी और ये हालात कमोबेश पूरे गांव के है. गांव में 3 हजार गायें है, लेकिन 250 की लंपी से मौत हो चुकी है और 500 लंपी से बीमार हैं. ग्रामीण अपने स्तर पर ही देसी इलाज कर रहे हैं. सरकार से इलाज का कोई खास इंतजाम नहीं है. ग्रामीण नाराज है कि सरकार पशुओं को बचाने के लिए कुछ नहीं कर रही है.

लंपी के कहर का असर ये हुआ कि बरना गांव मेम दूध की डेयरियों पर दूध देने वाले किसानों की कतार छोटी हो गई और बर्तनों में दूध कम हो गया है. इस गांव से रोजाना 10 हजार लीटर दूध किसान डेयरी में बेचते थे. लंपी के कहर के बाद अब महज छह हजार लीटर ही रह गया है.



