मोक्षधाम गया में पितृपक्ष के 8वें दिन का है विशेष महत्व, जानें….

बिहार के गया में 17 दिन तक चलने वाली विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला का शनिवार को 8वां दिन है. और ऐसी मान्यता है कि आज के दिन 16 वेदियों पर पिंडदान करने से पितरों को शिवलोक की प्राप्ति होती है. ऐसा माना जाता है कि आज के दिन पिंड दान करने से सात गोत्र और 101 कूल का उद्धार होता है. कहा जाता है कि दूसरे स्थानों पर पितर आह्वान करने पर आते हैं, लेकिन गया में अपने पुत्र को आया हुआ देखकर वह स्वयं आ जाते हैं. गया तीर्थ पिंडदान करने का फल हर कोई चाहता है, इस क्रिया को करने के लिए क्रोध और लोभ को त्याग करना चाहिए.

गया में इस साल पितृपक्ष मेला लगने की उम्मीद, 17 दिन में 100 करोड़ रुपए से  ज्यादा का होता है कारोबार; विदेशों से भी आते हैं श्रद्धालु | Gaya Pitru  Paksha Mela

पिंडदान करने के समय पिंडदानियों को ब्रह्मचारी रहना चाहिए. इस दौरान एक बार भोजन करना चाहिए. जमीन पर सोना चाहिए और सच बोलना चाहिए, साथ ही पवित्र रहना चाहिए. इतना काम करने से ही गया तीर्थ का फल मिलेगा. जिनके घर में कुत्ते पाले जाते हैं उनका जल भी पितर ग्रहण नहीं करते हैं. नियमों का पालन कर पिंडदान करने से पितरों को शिवलोक की प्राप्ति होती है.

पिंडदान के आठवें दिन 16 वेदी नामक तीर्थ पर अवस्थित अगस्त पद, क्रौंच पद, मतंगपद, चंद्रपद, सूर्यपद, कार्तिकपद में श्राद्ध करने से पितरों को शिवलोक की प्राप्ति होती है. वहीं 16 वेदी के अंतिम कर्मकांड में रोगग्रस्त श्रद्धालुओं को शास्त्र ने कुछ खाकर करने का आदेश दिया है. आठवां दिन पिंडदान करने से पहले नित्यकर्म कर, पूर्वजों को मन में रखकर 16 वेदियों के पास स्थल पर बैठकर पिंडदान आरंभ करना चाहिए. 16 वेदी का स्थल देव स्थल है, जहां 16 देवता स्थान ग्रहण करते हैं. पिंडवेदी स्तंभ पर पिंड साटने का परंपरा नहीं है यहां सभी पिंडों के भांति पिंड अर्पित कर सकते हैं.

विष्णुपद परिसर स्थित 16 वेदियों पर क्रमश तीन दिन का पिंडदान होता है. इन 16 वेदियों पर सभी दिवसीय यानी एक दिवसीय, तीन दिवसीय और 17 दिवसीय वाले पिंडदान करते हैं.आज भी पांचों पिंडवेदी के स्तंभ पर पिंड साटने और दूध अर्पित करने का परंपरा हैं.

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