हे! मिथिला की जीवनदायिनी नदी कमला हमें माफ़ करना

दरभंगा : बिहार में मिथिला और खासकर दरभंगा जिले में कमला नदी का आस्थपूर्ण महत्व वर्षों से रहा है. इस नदी में साल में दो बार लगते हैं. भव्य मेले दूरदराज से आते हैं. यहां भक्त इसके बावजूद भी रखरखाव नहीं होने के कारण यह नदी नाले के साथ-साथ कचरे का अंबार बनता जा रहा है. मान्यता ऐसी है कि इस नदी में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं. नि:संतान को संतान की प्राप्ति होती है. पर आज खुद इसकी स्तिथि दयनीय है.

कमला नदी - विकिपीडिया

वैसे तो मिथिला धार्मिक नगरी है. यहां धर्म से जुड़े कई ऐसे तथ्य और राज हैं जो आपको देखने को मिल जाएंगे. इसी में से एक कमला नदी भी है. यहां कार्तिक पूर्णिमा के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. यहां की मान्यता है की पूरी रात भगत के द्वारा माता कमला को जगाने के लिए भजन-कीर्तन किया जाता है. वही प्रातः काल भक्त इसमें स्नान आदि कर पूजा अर्चना करते हैं और अपनी मन्नतें मांगते हैं. कई लोग अपने मन्नतें पूरी होने पर भी यहां आते हैं और माता का आशीर्वाद लेते हैं.

नेपाल से भी आते हैं लोग
दरभंगा जिले में गौशाघाट स्थित कमला नदी में वैसे दंपत्तियों की भीड़ ज्यादा देखी जाती है, जिन्हें संतान नहीं हो रहा होता है. ऐसा माना जाता है कि दंपति यहां आकर गठजोड़ कर एक साथ कमला नदी में स्नान करने के पश्चात माता से संतान सुख की वर मांगते हैं. मनोकामना पूर्ण होने पर फिर से दंपति अपने संतान के साथ यहां आकर पूरी रात माता की आराधना करते हैं. सुबह प्रातः काल स्नानादि कर पूजा पाठ के पश्चात अपनी संतान का मुंडन भी यहां करवाते हैं.

जगह-जगह लोग मिट्टी भर के घर बना लिए
यहां के स्थानीय निवासी अशेश्वर यादव बताते हैं कि पहले पानी तेजी से चलता था. इसमें नाव भी चलती थी. पानी जयनगर से आता था. अब मरणासन्न अवस्था होते जा रही है. जगह-जगह लोग मिट्टी भर भर के घर बना लिया है. नदी में जाने तक का रास्ता बंद हो चुका है. यहां से गौसाघाट तक भव्य मेला लगता है. गौसाघाट बहुत मशहूर जगह है. मेला यहां लगता आ रहा है. माघ और कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहां भव्य मेला लगता है. लोगों का कमला मैया में आस्था है, इसलिए गंदे पानी में भी नहा कर पूजा पाठ कर लेते हैं.

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