पटना. हाल में ही पटना हाई कोर्ट ने बिहार नगर निकाय चुनाव में ओबीसी-ईबीसी आरक्षण को कानून गलत बताया था. इसके बाद निर्वाचन आयोग ने चुनाव स्थगित कर दिए. लेकिन, चुनाव स्थगित होने के बाद भी इस पर बिहार में सियासत बदस्तूर जारी है. अति पिछड़ों के आरक्षण के नाम पर जेडीयू और बीजेपी एक-दूसरे पर इसका ठीकरा फोड़ रही है. आरोप- प्रत्यारोप की राजनीति के बीच अब पूर्व जदयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने भी इसको लेकर सीएम नीतीश कुमार को अपने निशाने पर लिया है.

आरसीपी सिंह ने नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा, जनता ने आपको ‘X’के लिए वोट किया था; और आप ‘Y’ वालों की तरफ चले जाते हैं. आरसीपी सिंह ने कहा, वर्ष 2020 में जनता ने जो जनादेश दिया था, आप को मुख्यमंत्री बनाया. एक गठबंधन को जनादेश मिला था, लेकिन गठबंधन बदल गया और आप मुख्यमंत्री बने रहे. जनता ने आपको ‘X’ के लिए वोट किया था, और आप ‘Y’ वालों की तरफ चले जाते हैं.
अब आरसीपी सिंह के इस कथन के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. राजनीति के जानकार आरसीपी सिंह के बयान को सामाजिक-राजनीतिक कोण से भी देख रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर निकाय चुनाव पर भी आरसीपी सिंह ने अपना हमला बिहार सरकार को निशाने पर रखते हुए जारी रखा. आरसीपी सिंह ने कहा कि बिहार सरकार को इसपर जवाब देना पड़ेगा.

आरसीपी सिंह ने नगर निकाय चुनाव पर आगे कहा, वर्ष 2007 में, 2012 में और 2017 में स्थिति आई थी. लेकिन, वर्ष 2022 भी यह स्थिति क्यों आई, इसका कौन जवाब देगा? यह जिम्मेवारी सिर्फ राज्य सरकार की है. उस समय भी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में केस गया था. सुप्रीम कोर्ट का आरक्षण को लेकर जो आदेश है इसको आपको करना था; मगर नहीं किया. उमीदवारों का कितना खर्च हुआ है, इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? यह पूरी तरह से सरकार की विफलता है.

आरसीपी सिंह ने कहा, जहां तक पिछड़ा और अति पिछड़ा आरक्षण की बात है, अति पिछड़ों को आरक्षण दिया गया था. 2007 में बीजेपी, जदयू और साथ ही एनडीए की सरकार थी. ऐसे में क्यों इस बात के लिए एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. यह गलती हुई है, चूक हुई है, उसको सुधारने की जरूरत है. जितनी गंभीरता से इसको लेना चाहिए था उसको नहीं ले रहे हैं और बिना वजह सिर्फ बात को डाइवर्ट कर रहे हैं. तुरंत जो भी कार्रवाई करनी है, सरकार को करनी है. उसका जो भी एक्शन लेना है वह ले और एक समयावधि के अंतर में चुनाव कराए.
सुधाकर सिंह के इस्तीफे पर आरसीपी सिंह ने कहा, क्या बढ़िया सिस्टम है. मुख्यमंत्री जी जब भी चीफ मिनिस्टर बने हैं तब मांझी जी इस्तीफा, उसके बाद आरएन सिंह का, फिर मेवालाल चौधरी का इस्तीफा हुआ. इस बार एक नहीं; दो-दो हुए हैं. आखिर सीएम पहले क्या करते हैं, नाम तो आपके पास आता है. देखते क्यों नहीं है. आपको सिर्फ अपनी इमेज की चिंता है.

