पटना: बाजार में मिट्टी का चूल्हा बनते देख कर ही लोक आस्था के महापर्व छठ की चहल-पहल शुरू हो जाती है. लोक आस्था के महापर्व छठ में मिट्टी के चूल्हे का विशेष महत्व है और ऐसी मान्यता है कि छठ पूजा में छठ महापर्व का प्रसाद मिट्टी के नए चूल्हे पर ही तैयार किया जाता है. छठ पूजा में अभी 20 दिन शेष हैं लेकिन इसके पहले ही पटना की सड़कों पर छठ महापर्व को लेकर के मिट्टी का चूल्हा बनना शुरू हो गया है.
मिट्टी के चूल्हे बनाने में लगीं मुस्लिम महिलाएं
पटना के वीरचंद पटेल पथ पर लगभग 40 से 50 की संख्या में मुस्लिम महिलाएं हिंदुओं के महापर्व छठ के लिए मिट्टी का चूल्हा बनाती हैं. छठ नजदीक आने के साथ ही महिलाएं अब चूल्हा तैयार करने के काम में लग गई हैं. पटना में हर साल शहरी क्षेत्र की बात करें तो 60 हजार से 70 हजार के करीब मिट्टी के चूल्हे बिकते हैं. इस बार मिट्टी का चूल्हा लगभग ₹60 से ₹80 के बीच बिकने का अनुमान है. ऐसे में मिट्टी के चूल्हे का कारोबार 40 लाख से अधिक रहने वाला है. मिट्टी का चूल्हा निर्माण करने वाली महिलाओं को इस बार चूल्हे के बाजार से काफी उम्मीदें भी हैं.
गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल
वीरचंद पटेल पथ के 500 मीटर से अधिक दूरी तक सड़क किनारे फुटपाथ पर हजारों मिट्टी के चूल्हे बन करके तैयार हो गए हैं. महिलाएं प्रतिदिन 20 से 30 की संख्या में नए मिट्टी के चूल्हे को तैयार कर रही हैं. एक ओर यह मुस्लिम महिलाएं छठ महापर्व के लिए मिट्टी का चूल्हा तैयार कर गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल कायम करती हैं. वहीं दूसरी तरफ चूल्हा बेचकर अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करती हैं.
इस बार पटना में मिट्टी का चूल्हा तैयार कर रही महिलाओं का कहना है कि मिट्टी की कीमत इस बार काफी बढ़ गयी है. पिछली बार ₹1500 में दो ट्रॉली मिट्टी खरीदा था. वहीं इस बार ₹2400 लग गया है. वीरचंद पटेल पथ पर मिट्टी का चूल्हा तैयार कर रही महिला मुस्तकीमा खातून ने बताया कि इस बार मिट्टी का कीमत बढ़ गयी है. ऐसे में इस बार मिट्टी के चूल्हे का भाव अधिक रहेगा.



