मुंगेर : दीवाली के बाज़ारों में रौनक चरम पर पहुंच रही है. देश भर में हर्षोल्लास से मनाए जाने वाले त्योहार पर रोशनी का खासा महत्व है. इस बार रोशनी की भव्यता मुंगेर के कल्याणपुर में दिखने वाली है. ग्रामीण यहां इस साल दीवाली पर 6 लाख दीये जलाने जा रहे हैं. इसके लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं और मुंगेर सहित पड़ोसी ज़िलों से मिट्टी के दीये मंगाए जाएंगे. चूंकि धनतेरस से ही त्योहार की शुरूआत मानी जाती है इसलिए इसी दिन होने वाले इस कार्यक्रम से गंगा के घाट को जगमग किया जाएगा.
ज़िले के कल्याणपुर में बिहार की सबसे बड़ी दीवाली मनाने की तैयारी करने वाला यह गांव अपने आप में खास है. लगभग 2 किलोमीटर की लंबाई में इस गांव की 10 हज़ार की आबादी है. और यहां के दर्जनों लोग बड़े पदों तक पहुंचे हैं. समृद्ध माने जाने वाले इस गांव के युवा और बुजुर्गों ने धनतेरस पर गंगा तटों पर 6 लाख मिट्टी के दीयों को मिल के तेल से जलाने का आयोजन किया है. खास बात यह है कि गांव की महिलाएं ही इन दीयों को रोशन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी. ये महिलाएं नियमित रूप से यहां दीये जलाती हैं.
अगले साल में क्या 10 लाख दीये जलेंगे?
यूथ क्लब कल्याणपुर की आईटी सेल के संयोजक विपुल दुबे ने बताया कि 2020 में दीवाली के अवसर पर 1.75 लाख मिट्टी के दीये, 2021 में 5 लाख दीये जलाए गए थे. यह कार्यक्रम गांव भर की सहमति से किया जा रहा है. इस बार दीये की मांग मुंगेर के साथ-साथ पड़ोसी ज़िलों से भी की गई है तो कुम्हार दीये बनाने में जुटे हैं. दुबे ने बताया कि जलता हुआ दीपक शांति, एकता और उजाले का प्रतीक है. समाज में प्यार और भाईचारा बढ़े, इसी संदेश के लिए यह आयोजन किया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि हर साल दीये जलने का आंकड़ा इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि ग्रामीण अपनी सामर्थ्य के हिसाब से ऐसा कर रहे हैं. हो सकता है कि आने वाले साल में 10 लाख दीये जलाए जा सकें. बता दें कि इसी गांव में दुर्गा पूजा के दौरान मुंबई के ताज होटल और गेटवे ऑफ इंडिया जैसा पंडाल बना था. इस पंडाल की लागत 35 लाख रुपये थी. दुबे के मुताबिक गांव के लोगों की एकता और सामंजस्य से ऐसे रचनात्मक काम हो पाते हैं.




