दरभंगा. लोक आस्था का महापर्व छठ पूरे यूपी, बिहार, दिल्ली और झारखंड में प्रसिद्ध है. आधुनिकता के दौर में भी इस पर्व में काम आने वाले 95 फीसदी सामान आज भी ग्रामीण क्षेत्र के बने हुए इस्तेमाल किए जाते हैं. ऐसे में यह पर्व हस्तकला से जुड़े छोटे-छोटे कामगारों के लिए भी मुनाफा का अवसर लेकर आता है. अलबत्ता सामान अगर हस्तकला के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध मधुबनी जिले के कामगारों के हाथों के बने हो तो उसके खरीदार सबसे आगे होते हैं. दरभंगा शहर में भी इन दिनों 80 से 100 किलोमीटर दूर मधुबनी जिले के विभिन्न गांव में बांस से बने सामान खरीदारों की पहली पसंद बनते जा रहे हैं. व्यापारियों को इसका फायदा भी हो रहा है.
मधुबनी के कारीगरी की ज्यादा डिमांड
व्यापारी सुरेश कुमार महतो बताते हैं कि वे मधुबनी जिले का सामान बेचने के लिए आए हुए हैं. इसे दरभंगा के लोग काफी पसंद करते हैं. वे कहते हैं कि दरभंगा में लोकल का अलग फिनिसिंग है. जबकि हमारे मधुबनी जिले के बांस से बने हुए डाला, चंगेरा, दौरा और डगड़ा का अलग फिनिसिंग होता है. खासकर मधुबनी, खुटौना, बाबूबरही के कारीगरों का बना सामान ज़्यादा बिकता है. ग्राहक मधुबनी की कारीगरी को ज्यादा पसंद करते हैं.
10 रुपए ज्यादा कीमत
सुरेश कुमार महतो बताते हैं कि छठ पर्व का सामान वह बीते 7 वर्षों से बेच रहे हैं. इससे पहले उनकी मां यह काम करती थी. मधुबनी से 10 रुपए ज्यादा कीमत पर दरभंगा जिले के बाजार में हमारा सामान बिकता है. ग्राहक मधुबनी की कारीगरी को ज्यादा पसंद करते हैं. इससे अपना भी थोड़ा फायदा हो जाता है. वे कहते हैं कि दुर्गा पूजा के पहले ही हमलोग इसकी तैयारी में जुट जाते हैं.

जबकि स्थानीय महिला व्यापारी निर्मला देवी बताती हैं कि वह खुद से यह सामान नहीं बनाती है, खरीद कर लाती है. 5 से 10 रुपए तक के फायदे में अगर कोई ग्राहक लेना चाहता है, तो उसे दे देती हूं.



