जसीडीह स्‍टेशन का नाम बाबा वैद्यनाथ जंक्शन करने की मांग, बीजेपी नेताओं ने अमित शाह को लिखा पत्र

रांची. जसीडीह रेलवे स्टेशन का नाम बाबा बैद्यनाथ स्टेशन करने की मांग जोर पकड़ रही है. भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन और बीजेपी सांसद निशिकांत दूबे ने गृहमंत्री अमित शाह को इस संबंध में पत्र लिखा है. उन्होंने जसीडीह का नाम बदलने की सिफारिश सरकार से की है.

बाबाधाम के रेलवे स्टेशन का नाम जसीडीह स्टेशन है. ये स्टेशन भी देवघऱ में ही बना है.सावन के महीने में बाबा बैद्यनाथ धाम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दर्शन के लिए पहुंचना और 10 किमी से भी लंबा रोड शो करना पूरे संथाल परगना और उससे जुडे बिहार के इलाको में उत्साह भर गया है. बाबा की ऐसी नगरी जहां हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु माथा टेकने पहुंचते हैं, उस देवघर को पीएम ने हवाई अड्डे और साथ ही एम्स की सौगात दी. रेल मार्ग से बाबा की नगरी में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बहुत ज्यादा है. बिहार, बंगाल और देश के दूसरे हिस्सों से आने वाले लोग रेल के माध्यम से ही जसीडीह पहुंचते हैं.

लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि बाबाधाम के रेलवे स्टेशन का नाम जसीडीह स्टेशन है. ये स्टेशन भी देवघऱ में ही बना है. स्थानीय लोगों का मानना है इस स्टेशन का नाम जसीडीह से बदल कर बाबा बैद्यनाथ रेलवे स्टेशन कर दिया जाए तो बाबा धाम आने वाले लोगों को काफी सुविधा होगी. स्थानीय लोगों की स्टेशन का नाम बदलने की मांग का स्थानीय बीजेपी सांसद निशिकांत दूबे ने भी समर्थन किया है. उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह को चिठ्ठी लिख कर जसीडीह स्टेशन का नाम बदलने की मांग की. उन्होंने खत की एक कॉपी रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को भी भेजी.

खत में लिखा…

निशिकांत दूबे ने गृहमंत्री को लिखा कि जसीडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदल कर बाबा बैद्यनाथ स्टेशन रखा जाए क्योंकि रेलवे के अपने रिकार्ड्स में भी जसीडीह का नाम 1884 में बैद्यनाथ स्टेशन था. इस नाम को अंग्रेजों ने वित्तिय फायदे के लिए बदल दिया था. इसलिए जसीडीह का नाम बदल कर आजाद भारत में इस ऐतिहासिक भूल को सुधारा जाए और ब्रिटिश राज के बचे हुए इन प्रतीक चिह्नों को खत्म किया जाए.

रेलवे ने दिया जवाब

निशिकांत दूबे ने ये जानकारी रेलवे के महाप्रबंधक कार्यालय से मांगी थी. रेलवे ने चिट्ठी का जवाब दिया. इतिहास खंगाला तो जो कागज मिले उसके आधार पर रेलवे ने बताया कि 1874 के वर्किंग टाइम टेबल के मुताबिक भी ये बैद्यनाथ स्टेशन था जंक्शन नहीं. यहां तक कि 1884 की वर्किंग समय सारिणी में भी इसी बैद्यनाथ स्टेशन का जिक्र मिलता है. रेलवे ने कहा जो मौजूदा ब्रांच लाइन है जसीडीह-बैद्यनाथ धाम वो हो सकता है 1884 से पहले बन चुकी हो. लेकिन 1874 से 1884 तक बैद्यनाथ स्टेशन मेन लाइन स्टेशन के रूप में कार्यरत था लेकिन तब ये जंक्शन स्टेशन नहीं था.

प्रदेश सरकार की पहल पर बदलेगा नाम

पेंच ये फंस रहा है कि किसी भी रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की मांग राज्य सरकार की तरफ से आनी चाहिए. तभी रेल मंत्रालय आगे की कारवाई कर सकता है. लेकिन अभी जेएमएम के नेतृत्व वाली गठबंधन की सरकार है. इसलिए निशिकांत दूबे को गृहमंत्री का दरवाजा खटखटाना पड़ा है. पीएम मोदी के देवघर दौरे के बाद जो माहौल बदला उससे लगता नहीं है कि बाबा की नगरी में स्टेशन बाबा के नाम करने में ज्यादा अडचनें आएंगी.

मरांडी ने सोरेन को लिखा पत्र

पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है. उन्होंने  केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने की मांग की है. बाबूलाल ने पत्र में लिखा है कि प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु द्वादश ज्योतिर्लिंग का दर्शन-पूजन करने बाबा वैद्यनाथ धाम आते हैं। इनमें भारत ही नहीं, विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं। बाबा वैद्यनाथ की पहचान अध्यात्मिक एवं धार्मिक दृष्टिकोण से पूरे विश्व में है. बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री को भेजे के साथ महाप्रबंधक, पूर्व रेलवे की ओऱ से जारी तत्कालीन रेलवे समय-सारणी की छायाप्रति संलग्न की है.

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