बिहार के ‘डिजिटल भिखारी’: हाथ में 18000 टैब तो गले में स्कैनर….लालू यादव भी रह चुके है फैन

बेतिया : भिखारी शब्द सुनते ही सबके जेहन में एक ऐसी छवि उभरकर आती है, जिसकी पास संसाधनों की भारी कमी हो और वह एक-एक रुपए के लिए दर-दर भटकता हो. हम बिहार के पहले डिजिटल और टैब वाले भिखारी की बात कर रहे हैं, जो कि गले में स्‍कैनर और हाथ में टैब लेकर चलता है. यही नहीं, वह भीख में कम से कम 50 रुपए लेता है. ऐसा ही एक भिखारी बिहार के बेतिया रेलवे स्टेशन पर रहता है. नाम है राजू प्रसाद पटेल, तो है उम्र 42 वर्ष .

पीएम मोदी का भक्त डिजिटल तरीके से मांगता है भीख, लालू यादव भी फैन - NEWSWINGदरअसल बेतिया रेलवे स्टेशन पर बेहद छोटी सी उम्र से रहकर भीख मांगने वाला राजू एक ऐसे भिखारी हैं, जो अपने पास 18000 का टैब रखते हैं. साथ ही वो क्यूआर कोड से स्कैन करवाकर डिजिटल तरीके से पैसा लेते हैं. आश्चर्य की बात ये है कि महज तीसरी कक्षा तक पढ़े राजू बड़ी ही आसानी से टैब हैंडल कर लेते हैं. यही नहीं, राजू को यात्रा के दौरान स्टेशन पर आने वाले हर व्यक्ति से एक या दो रुपए नहीं बल्कि कम से कम 50 रुपए चाहिए होते हैं, जिसे लोग बखूबी दे देते हैं. राजू के मुताबिक, पहले यात्री खुल्‍ले पैसे नहीं होने का बहाना बनाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाता है.

भीख में मिले रुपए से खरीदा टैब
तीसरी कक्षा तक पढ़े राजू डिजिटल भीखारी हैं, जो अपने पास 18000 का टैब रखते हैं. उन्‍होंने बताया कि पब्लिक द्वारा दिए गए पैसे को इकट्ठा कर उससे सैमसंग का टैब लिया. साथ ही स्टेशन पर मौजूद दुकानों में क्यूआर कोड वाले स्कैनरों को देखकर डिजिटल ट्रांजेक्शन की सीख मिली. वहीं, स्‍थानीय दुकानदारों ने राजू का एक अकाउंट बनाकर उसे क्यूआर कोड वाला स्कैनर दिलवाया. समझने वाली बात ये है कि महज तीसरी कक्षा तक पढ़े होने के बावजूद भी वो सभी टेक्निकल चीजों को बड़ी ही आसानी से हैंडल कर लेते हैं. अब आलम ये है कि राजू भीख मांगने के साथ साथ स्टेशन पर मौजूद जरूरतमंद यात्रियों और दुकानदारों से अकाउंट में पैसे लेकर उन्हें कैश प्रदान करते हैं.

लॉकडाउन में साधु बन किया था गुजारा
हमने राजू से पूछा कि लॉकडाउन में जब पूरी दुनिया घर के अंदर दुबकने को मजबूर हो गई थी, तब आपने कैसे गुजारा किया. उन्‍होंने बताया कि लॉकडाउन में उसने खुद को गेरुवा वस्त्रधारी साधु में परिवर्तित कर लिया था और स्टेशन का आश्रय छोड़ बिना किसी रोक टोक के शहर में ही भटकता रहा. इस दौरान उसकी शहर के दुकानदारों के जरिए उसकी कमाई होती रही.

लालू यादव ने रेलमंत्री रहने के दौरान राजू को दिया था ये तोहफा
बेतिया रेलवे स्टेशन पर रहने वाले भिखारी राजू बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव को अपना पिता बताते हैं. जबकि बेतियावासी भी उसे मजाक में लालू का बेटा ही कहते हैं. जब लालू यादव रेलमंत्री थे, तब उनके बेतिया दौरे के दौरान राजू ने उनसे मुलाकात की और उन्हें पापाजी कहकर बुलाया था. इतना ही नहीं राजू ने लालू यादव से अपने खर्चे की बात भी कही थी. इसके बाद उन्होंने राजू के लिए पूरे बिहार में रेलवे यात्रा मुफ्त कराई थी. साथ ही उसके खाने पीने की मुफ्त व्यवस्था भी की थी. इसके बाद राजू की पूरे बिहार में एक अलग ही पहचान बन गई. हालांकि वर्तमान में उसके पास अब ऐसी कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं है.

 

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Discover more from Muzaffarpur News

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading