सनातन धर्मावलंबी के सबसे पुण्यकारी मास के पूर्णिमा कार्तिक पूर्णिमा है I कार्तिक पूर्णिमा आठ नवंबर दिन मंगलवार को भरणी नक्षत्र व सर्वार्थ सिद्धि योग में मनायी जाएगी I भारतीय संस्कृति में कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व है। इसी दिन काशी में देवताओं की दीपावली के रूप में देव दीपावली महोत्सव मनाया जाएगा । इस दिन कई धार्मिक आयोजन, पवित्र नदी में स्नान, पूजन और दान -धर्म का विधान है। वर्ष के बारह मासों में कार्तिक मास आध्यात्मिक एवं शारीरिक ऊर्जा संचय के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। श्रद्धालु पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद श्री सत्यनारायण की कथा का श्रवण, गीता पाठ, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ व ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जप करके पापमुक्त-कर्जमुक्त होकर भगवान विष्णु की कृपा पाते हैं।
दीपदान से दस यज्ञ के बराबर पुण्य
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने कहा कि कार्तिक पूर्णिमा को भगवान विष्णु की अपार कृपा बरसती है I इस दिन गंगा स्नान से शरीर में पापों का नाश एवं सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है I भगवान नारायण ने अपना पहला अवतार मत्स्य अवतार के रूप में कार्तिक पूर्णिमा को लिए थे I इस दिन श्रीकेशव के निकट अखण्ड दीप दान करने से दिव्य कान्ति की प्राप्ति होती है I साथ ही जातक को धन, यश, कीर्ति का लाभ भी मिलता है I गंगा स्नान के बाद दीप-दान करना दस यज्ञों के समान होता है। इस दिन अन्न, धन, वस्त्र, घी आदि दान करने से कई गुना फल मिलता है I
गंगा स्नान से मिलता है पूरे वर्ष का फल
ज्योतिषी झा के अनुसार कार्तिक माह की त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा को पुराणों ने अति पुष्करिणी कहा है। स्कंद पुराण के अनुसार जो प्राणी कार्तिक मास में प्रतिदिन स्नान करता है, वह यदि केवल इन तीन तिथियों में सूर्योदय से पूर्व स्नान करे तो भी पूर्ण फल का भागी हो जाता है। शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने का बहुत महत्व बताया गया है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से पूरे वर्ष गंगा स्नान करने का फल मिलता है । इस दिन गंगा सहित पवित्र नदियों एवं तीर्थों में स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और पापों का नाश होता है। घर पर स्नान करने वाले जातक पानी में गंगाजल और हाथ में कुश लेकर स्नान करे उससे भी गंगा स्नान का ही फल मिलता है I इस पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान, दीप-दान, हवन, जाप आदि करने से सांसारिक पाप और ताप दोनों का नाश होता है I

कार्तिक पूर्णिमा पर बरसेगी श्रीहरि की कृपा
कार्तिक महीना भगवान कार्तिकेय द्वारा की गई साधना का माह माना गया है। इसी कारण इसका नाम कार्तिक महीना पड़ा हैं । नारद पुराण के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर संपूर्ण सद्गुणों की प्राप्ति एवं शत्रुओं पर विजय पाने के लिए कार्तिकेय जी के दर्शन करने का विधान है। पूर्णिमा को स्नान अर्घ्य, तर्पण, जप-तप, पूजन, कीर्तन एवं दान-पुण्य करने से स्वयं भगवान विष्णु पापों से मुक्त करके जीव को शुद्ध कर देते हैं।
खग्रास चन्द्रग्रहण भी इसी दिन
कार्तिक पूर्णिमा को भरणी नक्षत्र व मेष राशि में इस साल का दूसरा तथा अंतिम खग्रास चन्द्रग्रहण लग रहा है । चन्द्रग्रहण का सूतक 9 घण्टे पहले ही शुरू हो जाता है। इस दौरान मंदिर के कपाट बंद रहते हैं। यह ग्रहण शाम 04:59 बजे से शुरू होकर 06:19 बजे खत्म होगा। ग्रहण की समाप्ति के बाद गंगाजल से स्नान फिर पूरे घर में इसका छिड़काव कर भगवत पूजन होगा ।
