पटना : हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि को विशेष स्थान माना गया है। स्कंद पुराण में कार्तिक माह को सभी मासों में श्रेष्ठ, रोग विनाशक, मुक्ति प्रदान करने वाला माह बताया गया है। कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली के रूप में भी जाना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा यानी देव दीपावली के दिन आठ नवंबर को वर्ष का आखिरी चंद्रग्रहण लग रहा है। इसके पूर्व चंद्रग्रहण 16 मई को लगा था।
ज्योतिष आचार्य पीके युग ने पंचांगों के हवाले से बताया कि मंगलवार को चंद्रग्रहण 5.32 बजे आरंभ होकर शाम 6.18 बजे तक है। वहीं चंद्रग्रहण का सूतक काल मंगलवार को सुबह 9.21 बजे से आरंभ होगा जो शाम 6.18 बजे समाप्त होगा।
यह चंद्रग्रहण राजधानी पटना सहित देश के विभिन्न स्थानों पर दिखाई देगा। चंद्रग्रहण का सूतक काल नौ घंटे पूर्व आरंभ होने के साथ इस दौरान मंदिरों व घरों में पूजा अर्चना समेत अन्य मांगलिक कार्य नहीं होगा।
वहीं चंद्रग्रहण के बाद स्नान आदि कर भगवान की पूजा अर्चना घरों से लेकर मंदिरों में होगी। वहीं कार्तिक पूर्णिमा पर भरणी नक्षत्र व सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बना रहेगा।
कार्तिक मास में चंद्रग्रहण लगने से समुद्र में उपद्रव होता है। वहीं मंगलवार को चंद्रग्रहण लगने से चोरी, अग्नि भय व फसल का नुकसान होगा।
व्रत की पूर्णिमा सोमवार को है। ऐसे में श्रद्धालु सोमवार को हीं गंगा स्नान करने के साथ मंदिरों व घरों में पूजा अर्चना करेंगे। वहीं कार्तिक स्नान करने वाले श्रद्धालु मंगलवार को कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान करेंगे।
ज्योतिष आचार्य की मानें तो मंगलवार को कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालु सूतक लगने से नौ घंटे पूर्व गंगा स्नान करेंगे। श्रद्धालु मंगलवार की सुबह नौ बजे से पहले गंगा स्नान कर लेंगे। वहीं चंद्रग्रहण के दौरान पूजा पाठ, भोजन आदि करने की मनाही है। वहीं गर्भवती महिलाएं चंद्रग्रहण के दौरान सब्जी काटने, भोजन बनाने का कार्य नहीं करेंगी। वहीं चंद्रग्रहण के बाद भी लोग गंगा स्नान कर भगवान की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराने के बाद विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर सकते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रग्रहण मेष राशि एवं भरणी नक्षत्र में लग रहा है। ऐसे में इस राशि एवं नक्षत्र वाले लोगों के लिए चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा को देखने की मनाही है। इसके अलावा वृष, सिंह, कन्या, तुला, धनु, मकर एवं मीन राशि वाले के लिए अशुभ फल देने वाला होगा। इन राशि वाले चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा को नहीं देखे। चंद्रग्रहण के दौरान सूतक काल में स्नान, दान, मंत्र जाप, तीर्थ स्नान लाभकारी होगा। सूतक काल में मूर्ति स्पर्श, भोजन करना, मल-मूत्र का त्याग करना , नाखून, बाल, दाढ़ी बनाना, भोजन बनाना आदि कार्यो से बचने की जरूरत है।
