पटना : आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद राजनीति एक बार फिर तेज हो गई है। भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के दलों ने इसका स्वागत किया है, तो बिहार के महागठबंधन में शामिल दलों में इस मसले पर विरोध देखने को मिल रहा है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा ईडब्ल्यूएस आरक्षण को बरकरार रखने के निर्णय से भाजपा काफी खुश है। प्रदेश उपाध्यक्ष व पूर्व विधान पार्षद राधामोहन शर्मा ने इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार की बड़ी जीत बताया है।
राधामोहन शर्मा ने कहा कि गरीब सवर्णों के आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर को गरीबों को जीत है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास के मूल मंत्र के साथ नव भारत के निर्माण के लिए संकल्पित है।

आर्थिक आधार पर पिछड़े सवर्ण समाज को आरक्षण देने के लिए प्रधानमंत्री को बहुत-बहुत धन्यवाद। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने देश के यशस्वी एवं सबका साथ सबका विकास के सार्थक प्रयास करने वाले नरेंद्र मोदी के निर्णय को सही ठहराया है।
जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने सोमवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा आर्थिक आधार पर दस प्रतिशत आरक्षण दिए जाने से संबंधित फैसले का जदयू स्वागत करता है। आरंभ से ही जदयू हर वर्ग और जाति के शैक्षणिक व आर्थिक उत्थान के लिए सभी क्षेत्रों में समान अवसर तथा प्रतिनिधित्व देने के लिए आरक्षण का पक्षधर रहा है।
जदयू प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि यही वजह है कि सीएम नीतीश कुमार जाति आधारित गणना की बात कह रहे हैं। जातिगत गणना सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तन का सशक्त माध्यम है। इससे सभी जाति की वास्तविक स्थिति सामने आ पाएगी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। मांझी ने ट्वीट किया- मैंने पूर्व में ईडब्ल्यूएस के आधार पर सवर्ण जातियों के लिए आरक्षण की मांग की थी। आज उच्चतम न्यायालय ने भी मेरी बातों पर मुहर लगा दी है, जिसके लिए सबों को धन्यवाद।
अब जिसकी जितनी संख्या भारी, उसको मिले उतनी हिस्सेदारी का आंदोलन शुरू होगा। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गरीब सवर्णो को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखने का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा आरक्षण देने के फैसले को न्यायालय ने संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ नहीं माना है। इधर, भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को दिए जा रहे 10 प्रतिशत आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट द्वारा वैध ठहराया जाना एक दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है, जो संविधान की मूल भावना के भी विपरीत है। संविधान में आरक्षण की व्यवस्था आर्थिक आधार पर नहीं, बल्कि सामाजिक, शैक्षिक व ऐतिहासिक पिछड़ेपन के आधार पर की गई है।
