मुजफ्फरपुर: एजेंसी व पदाधिकारियों की कोताही से समय पर पूरी नहीं हो पाईं स्मार्ट सिटी की योजनाएं

स्मार्ट सिटी कंपनी की मदद को बहाल प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट (पीएमसी) एवं स्पेशल परपज व्हीकल (एसपीवी) की कोताही के कारण शहरवासियों को न सिर्फ 598 करोड़ की विकास राशि से वंचित होना पड़ा, बल्कि चल रही एक भी योजना समय पर पूरी नहीं हो सकी। कई कार्यों के पूरा करने की तय समय सीमा समाप्त हो चुकी़ बावजूद अबतक आधा काम भी नहीं हुआ है। जबकि पीएमसी एवं एसपीवी की सेवा पर स्मार्ट सिटी कंपनी हर माह लाखों रुपये का भुगतान कर रही है। उनकी भूमिका कटघरे में है। वे अपनी जिम्मेवारी को निभाने में पूरी तरह से विफल साबित हुए हैं। दोनों की कार्यप्रणाली को देखते हुए शहरवासियों को शहर को स्मार्ट बनाने की एक भी योजना पूरी होती नहीं दिखाई पड़ रही है।

मुजफ्फरपुर: स्मार्ट सिटी की जमीनी हकीकत को यहां से देखें - Bihar Vichaarअपनी भूमिका निभाने में कंसल्टेंट एजेंसी विफल

स्मार्ट सिटी परियोजनाओं में डीपीआर तैयार करने, सर्वे का काम करने, निविदा की प्रक्रिया को अंजाम तक पहुंचाने एवं योजनाओं को जमीन पर उतारने का काम पीएमसी को करना है। स्मार्ट सिटी कंपनी ने पीएमसी के रूप में पहले तीन सालों तक श्रेयी इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस लिमिटेड की सेवा ली और अब बीते डेढ़ साल से सूरत की एजेंसी ग्रीन डिजाइन इंजीनियरिंग सर्विसेज की मदद ले रही है। बेहतर कार्य नहीं करने के कारण जुलाई 2021 में श्रेयी को हटा दिया गया था। लेकिन, उसकी जगह बहाल ग्रीन डिजाइन भी उसी की राह है। कंपनी को हर माह लाखों रुपये का भुगतान किया जा रहा है, जबकि एजेंसी अपना काम करने में पूरी तरह से विफल साबित हुई है। उसकी निगरानी में हो रहा एक भी काम अंजाम तक पहुंचते नहीं दिख रहा है।

सक्रिय हैं स्मार्ट सिटी कंपनी के पदाधिकारी

स्मार्ट सिटी कंपनी को संचालित करने के लिए एसपीवी का गठन किया गया है। इसमें चीफ एक्सीक्यूटिव आफिसर, चीफ जनरल मैनेजर, चीफ फाइनेंस अफसर, सीनियर मैनेजर टेक्निकल, कंपनी सेक्रेटरी, मैनेजर टेक्निकल, मैनेजर फाइनेंस, मैनेजर मानिटरिंग, मैनेजर इंक्लिनेशन, मैनेजर आइटी, समेत 27 पदों पर पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई है। इनके वेतन पर हर माह दस से 15 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं। लेकिन, वे कितने सक्रिय हैं, इसकी सच्चाई योजनाओं की हालत देखकर पता चल सकती है। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत डेढ़ दर्जन योजनाओं पर कम चल रहा है।

एक भी योजना पूरी होती नहीं दिखाई दे रही है। योजना स्थल की जगह वे कार्यालय में बैठे नजर आ जाएंगे। कंपनी के प्रबंध निदेशक एवं नगर आयुकत को दिखाने के लिए वे सक्रिय होते हैं। इनकी उदासीनता के कारण ही शहर को 598 करोड़ की राशि से वंचित होना पड़ा है। स्मार्ट सिटी परमर्शदातृ समिति सदस्य डा. ममता रानी ने कहा कि योजनाओं को समय पर पूरा नहीं होने के लिए एसपीवी एवं पीएमसी पूरी तरह से जिम्मेवार है। इन्होंने शहरवासियों के साथ धोखा किया है। इनकी उदासीनता के कारण एक भी योजना का लाभ अब तक शहरवासियों को नहीं मिल पाया है। इनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

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