पटना. बिहार में पुलिसिया चौकसी एक बार फिर से सवालों के घेरे में है. चौकसी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि की राजधानी पटना में होमगार्ड के आईजी विकास वैभव की चोरी गई सरकारी पिस्टल, 25 गोलियां और दो मैगजीन को पटना पुलिस ने बरामद करने का दावा तो किया है लेकिन इस दावे को करने में भी पटना पुलिस को तीन दि लग गए. पटना के एसएसपी मानव जीत सिंह ढिल्लो ने इस बात की आधिकारिक जानकारी देते हुए बताया कि आईजी विकास वैभव की पिस्टल उनके आवास से ही बरामद की गई है.

पटना एसएसपी ने बताया कि इस मामले में गर्दनीबाग थाने में केस नंबर 711 / 22 दर्ज किया गया था, जिसमें आईपीसी की धारा 380 के तहत दो संदिग्ध अभियुक्तों सुधांशु कुमार उर्फ सूरज कुमार और सुमित कुमार के खिलाफ नामजद केस दर्ज किया गया था. एसएसपी ने बताया कि सुधांशु कुमार सफाई कर्मी के तौर पर आईजी के घर में काम कर रहा था. एसएसपी ने जानकारी दी कि ग्लॉक पिस्टल मैगजीन और कारतूस आईजी के घर के पीछे से बरामद किया गया है. एसएससी ने बताया कि इस मामले में दो संदिग्धों के खिलाफ जो नामजद केस दर्ज कराया गया है उनकी भूमिका की फिलहाल जांच की जा रही है.

उन्होंने बताया कि फिलहाल इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई है. इस पूरे मामले में सफाई कर्मी सूरज को जब पुलिस ने पूछताछ के लिए हिरासत में लिया तब उसने गर्दनीबाग इलाके में ही रहने वाले सुमित कुमार और एक दूसरे को पकड़वा दिया. बताया जाता है कि सूरज से इन दोनों की पुरानी अदावत थी. पुलिस के द्वारा पूछताछ के दौरान सूरज कभी बेहोश हो जाता तो कभी मिर्गी आने का नाटक रहता था. उसके मोबाइल की जांच की गई तो उसमें हथियार का फोटो भी देखा गया. ये हथियार हालांकि आईजी का नहीं था.

इस मामले में बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि आखिर तीन दिनों से जांच कर रही पुलिस को तीसरे दिन विकास वैभव के आवास के पीछे से पिस्टल कैसे मिल गया. पहले दिन जब पूरे मामले की तहकीकात करने पटना पुलिस आईजी के आवास पहुंची तो उसके बारे में जानकारी क्यों नहीं मिली कि कैम्पस के अंदर पिस्टल केले के पेड़ के पास रखा हुआ है. अगर किसी ने केले के पेड़ के पास लाकर पिस्टल रख दी तो वह शख्स कौन है ? इस बात की जानकारी पुलिस अब तक क्यों नहीं लगा पाई है. तमाम तरह के जो सवाल हैं वह पुलिस की कार्यशैली पर एक बड़ा प्रश्न है.




