मुजफ्फरपुर : कुढ़नी के ‘लिटमस समर’ में सुशासन का टेस्ट, नीतीश या चिराग…दलितों पर किसका जादू?

मुजफ्फरपुर : उपचुनाव से दूरी बनाए रखनेवाले नीतीश कुमार अब प्रचार के लगभग अंतिम समय में जीत की अग्नि प्रज्वलित करेंगे। कुढ़नी की धरती पर पांव उतारेंगे। इससे मुजफ्फरपुर के कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव का महत्व समझा जा सकता है। अब तक कि सूचना के अनुसार दो दिसंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगे। राज्य में हुए दो उपचुनावों गोपालगंज और मोकामा से नीतीश कुमार ने दूरी बना कर रखा। राजनीतिक गलियारों में तब ये चर्चा थी कि नीतीश कुमार अपराधी प्रवृति के उम्मीदवार का प्रचार नहीं करते। ये दीगर कि नीतीश कुमार ने इसे नकारते हुए कहा भी कि पेट में चोट के कारण प्रचार में नहीं गए। लेकिन अप्रत्याशित रूप से कुढ़नी सीट पर जदयू की दावेदारी का खेल परवान पाया तो नीतीश कुमार की जिम्मेदारी बढ़ गई। जीत का समीकरण तय करते महागंठबंधन  में विधायकों की संख्या कम न हो, इसका भी ख्याल रखना है। कुढ़नी से जदयू के उतरने के बाद यहां के समीकरण में काफी उथल-पुथल देखने को मिल रहा है।nitish chirag
बिखरे वोटरों को समेटने की कवायद
चुनाव प्रचार समाप्त होने से एक दिन पहले राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी कुढ़नी विधानसभा में जोर-आजमाइश के लिए उतरना पड़ा तो इसके कई कारण भी हैं। कुढ़नी के गलियारे में सबसे पहला कारण यहां के जदयू के उम्मीदवार बन गए हैं। मनोज कुशवाहा का दबंग चेहरा, कड़क बोली के साथ सरकार के प्रति नाराजगी के उभरे स्वर का भी जवाब बन कर नीतीश कुमार को सामने आना होगा। हाल ही में मनोज कुशवाहा की एक तस्वीर वायरल हुई थी, जिसे भाजपा वाले ये आरोप लगा रहे थे कि ये महफिल शराब के पीने जैसी थी।पिछड़ा-अतिपिछड़ा वोट पर लगाएंगे दांव
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए सबसे जरूरी है, पिछड़ा और अतिपिछड़ा वोट के बीच भाजपा के घुसपैठ को रोकना। गोपालगंज और मोकामा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपने उम्मीदवार के समर्थन में पिछड़ा और अतिपिछड़ा वोट में सेंधमारी कर डाली थी। राजनीतिक सूत्र बताते हैं कि नीतीश कुमार के न आने का फायदा भाजपा ने उठाया। एक हद तक पिछड़ा और अतिपिछड़ा वोट भी अपनी झोली में डाल ली थी। सो, इस बार कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए नीतीश जी चुनाव में शिरकत करने के लिए कुढ़नी विधानसभा में प्रचार करने को राजी हो गए। पिछड़ा वोटरों में राजद के कार्यकर्ता टिकट छीन जाने से नाराज है। कुछ अति पिछड़ी जातियां गठबंधन बदलने से नाराज हैं। इनके मान-मनौव्वल का भी कोई मंत्र नीतीश कुमार देंगे। मोकामा में अच्छा-खासा वोट भाजपा को मिला था।

नीतीश या चिराग…दलितों पर किसका जादू?

जनता दल (यू) के उम्मीदवार मनोज कुशवाहा की जीत के लिए दलित वोट को भी मनाने की कवायद करनी होगी। प्रचार में गए हम के नेताओं को दलितों ने सरकार की ओर से की गई उपेक्षा का मामला उठाया। यहां के विधायकों ने दलित बस्तियों के विकास के लिए कोई कदम नहीं उठाया। लोजपा नेता चिराग पासवान इस मौके का फायदा भी उठाएंगे। चिराग पासवान की राजनीति वैसे भी नीतीश कुमार की राजनीति के विरुद्ध है। जिस तरह से नमो के हनुमान ने अंतिम समय में मोकामा या गोपालगंज के चुनाव में दलित मत विशेषकर पासवान वोटों को भाजपा की तरफ मोड़ने में कामयाब हुए थे। ऐसे में दलित मत को जदयू उम्मीदवार की तरफ मोड़ना कोई आसान काम नहीं रह गया है।

पिछड़ा-अतिपिछड़ा गोलबंदी को दुरुस्त करना मकसद
एक तरह से बात करें तो कुढ़नी में जदयू उम्मीदवार की इमेज बड़ी चुनौती है। उसे स्वीकार्य बनाने साथ ही पिछड़ा-अतिपिछड़ा मतों की गोलबंदी को दुरुस्त करना है। चुनाव को महागठबंधन के पक्ष में करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कौन-सा परिवर्तन की लहर चलाएंगे? इसके लिए रिजल्ट का इंतजार रहेगा। इन सबके बीच, नीतीश कुमार के कुढ़नी आगमन से जदयू उम्मीदवार काफी उत्साहित हैं।

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