सीवान जिले में एक ऐसा स्कूल भी है जो 4 खंभे और दो करकटनुमा छत के सहारे चलता है। बच्चों की संख्या अधिक होने की वजह से अधिकांश बच्चे खुले आसमान के नीचे चट पर बैठकर पढ़ाई करते। कुछ साल पहले सरकार के द्वारा स्कूल की मरम्मत के लिए 50 हजार रुपए आवंटित किए गए थे। लेकिन अब तक काम शुरू नहीं हुआ। मामला जिले के लकड़ी नवीगंज प्रखंड के खवासपुर में स्थित नया प्राथमिक स्कूल का है।
बता दें कि इस स्कूल की स्थापना साल 2006 में हुआ था। यहां कुल 160 बच्चे नामांकित है जबकि पढ़ाई करने के लिए 60 बच्चे ही उपस्थित रहते है। इस बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल में 6 शिक्षकों को नियुक्ति किया गया। हालांकि स्कूल में मात्र 4 से पांच शिक्षक ही उपस्थित रहते।
इस स्कूल को प्राथमिक स्कूल का दर्जा तो मिल गया लेकिन पिछले 16 वर्षों से अब तक इस स्कूल का कायाकल्प नहीं हुआ। स्कूल में न तो बैठने के लिए ठीक ढंग से कुर्सी है और ना ही टेबल, थोड़े बहुत टेबल है तो दूसरे के घरों में रखा जाता है ताकि इसकी चोरी न हो। स्कूल के प्रधानाध्यापक हरुन रसीदी ने बताया कि अभी कुछ माह पहले सरकार के तरफ से 2022 में ही 50 हजार रुपए की राशि स्कूल सेड के लिये आवंटित की गई। एक सप्ताह में कार्य शुरू कराई जाएगी।
खुले आसमान के नीचे ठंड में पढ़ते बच्चों की जानकारी प्रखंड विकास पदाधिकारी सुशील कुमार को हुई तो वह मौके पर निरीक्षण करने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा कि खवासपुर पंचायत में नवसृजित मध्य विद्यालय 2006 से ही संचालित है लेकिन विद्यालय के पास ना छत है ना दीवाल,खुले आसमान में बच्चे पढ़ाई करते है। बीडीओ सुशील कुमार का कहना है कि इसकी भी जांच की जाएगी की खवासपुर झोपड़ीनुमा विद्यालय के लिए कब कब और कितनी राशि आवंटित हुई है जांच करेंगे।
विद्यालय में नहीं है शौचालय खेतों में जाते हैं बच्चेबता दें कि यहां विद्यालय के लिए ना भवन है न बच्चों के लिए शौचालय। छुट्टी होने के बाद कुर्शी, टेबल पास के ही एक घर मे रखा जाता है। विद्यालय के सभी बच्चे खेतों में शौच के लिए जाते हैं विद्यालय का एक शौचालय भी नहीं है। बीडीओ सुशील कुमार का कहना है कि निरीक्षण मेंकई प्रकार की कमियां पाई गई है। जांच के बाद वह इसका रिपोर्ट वरीय अधिकारियों को सौंपेंगे।




