जहां बे’दर्द मालिक हो… जीतन राम मांझी के शायराना अंदाज से महागठबंधन में ह’लचल!

पटना. बिहार विधान सभा का शीतकालीन सत्र समाप्त हो गया, लेकिन छोटे सत्र में सदन की कार्रवाई बेहद हंगामेदार रही. हंगामे की सबसे बड़ी वजह थी जहरीली शराब की वजह से हुई कई लोगों की मौत जिसने नीतीश कुमार के सहयोगियों को भी असहज कर दिया है. खुल कर तो नहीं; मगर इशारों में महागठबंधन के सहयोगी दल भी नीतीश कुमार के कदम का, खासकर मुआवजा नहीं देने को लेकर नीतीश कुमार के स्टैंड पर सवाल खड़ा कर उनके फैसले को गलत बता रहे हैं.

Jitan Ram Manjhi met Nitish Kumar after being disappointed from  mahagathbandhan | बिहार में पक रही 'सियासी खिचड़ी', नीतीश से मिले जीतनराम  मांझी | Hindi News, बिहार एवं झारखंड

पूर्व मुख्यमंत्री व हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी सीएम नीतीश कुमार पर शायराना अंदाज में तंज भी कसा है और अपने अंदाज में मुख्यमंत्री के स्टैंड को गलत भी बता दिया है. जहरीली शराब से हो रही मौतों और मृतकों के परिजनों को मुआवजा नहीं दिए जाने को लेकर सवाल के जवाब में पूर्व मुख्यमंत्री ने अपना दर्द बताते हुए इशारों में नीतीश कुमार पर निशाना साधा. उन्होंने शायराना अंदाज में कहा, ”लिखा परदेस किस्मत में; वतन का हाल क्या होगा, जहां बेदर्द मालिक हो वहां फरियाद क्या होगा?”

जीतन राम मांझी की इस शायरी में बड़ा इशारा छिपा है. नीतीश कुमार के फैसले को लेकर माझी यही नहीं रुकते हैं. वो कहते हैं जब 2016 में जहरीली शराब की वजह से हुई मौत के बाद सरकार की ओर से मुआवजा दिया गया था तो अब देने में क्या हर्ज है? जाहिर है जीतन राम मांझी पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं. महागठबंधन के प्रमुख सहयोगी हैं. लेकिन, छपरा में जहरीली शराब से कई लोगों की मौत ने उन्हें भी आहत कर दिया है. लेकिन, सत्ता में है तो खुलकर नहीं बोल सकते हैं. ऐसे में इशारों में ही अपना दर्द बता सरकार पर निशाना साध दिया और मुआवजा के बात का समर्थन भी कर सरकार के लिए परेशानी बढ़ा दी.

दर्द केवल मांझी ही इजहार कर रहे हों, ऐसा नहीं है. कुछ ऐसा ही दर्द कांग्रेस के नेताओं का भी है जो महागठबंधन में शामिल हैं; और सरकार का खुलकर विरोध नहीं कर सकने की उनकी मजबूरी भी है. हालांकि, सारण की जहरीली शराब की घटना पर अपनी नाराजगी भी जाहिर कर रहे हैं. कांग्रेस विधायक शकील खान भी शीतकालीन सत्र के दौरान जो कुछ हुआ उस पर शायराना अंदाज में ही जवाब देते नजर आए. शकील खान ने कहा, ”दुनिया ने तेरी आदत से बेगाना कर दिया;
तुझसे भी दिलफ़रेब है ग़म रोज़गार का.”

बहरहाल, सियासत है और इसमें किसी भी मुद्दे के बहाने सत्ताधारी दलों और विरोधी दलों में नोंकझोंक तो होती ही रहती है. लेकिन, इस बार शीतकालीन सत्र में जिस तरह जहरीली शराब की वजह से सियासत गरमाई हुई है; विरोधी तो विरोधी अपनों ने भी निशाना साधने में कमी नहीं की जो आनेवाले समय में महागठबंधन की सियासत के लिए अहम है.

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