सुधाकर सिंह पर बरसे उपेंद्र कुशवाहा, कहा- नीतीश कुमार को कोई गा’ली दे, कतई ब’र्दाश्त नहीं

पटना. जेडीयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि नीतीश कुमार को कोई गाली दे, ये मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता. कुशवाहा का इशारा साफ तौर पर बिहार के पूर्व मंत्री और राजद के विधायक सुधाकर सिंह पर था जो इन दिनों नीतीश कुमार के खिलाफ खासे हमलावर हैं. कुशवाहा शनिवार को पटना में पत्रकारों से बात कर रहे थे. उन्होंने मीडिया के लोगों से आग्रह किया कि खबरों को सही तरीके से प्रकाशित करें. मेरी बातों के बारे में हमेशा बयानबाजी होती है. बातें कुछ और होती है और खबर कुछ और स्वरूप में प्रकाशित की जा रही है.

पटना में पत्रकारों से बात करते उपेंद्र कुशवाहा उपेंद्र कुशवाहा ने सुधाकर सिंह पर इशारा करते हुए कहा कि एक विधायक का गलत बयान आया है. उस पर मैंने आपत्ति दर्ज की है. जिस तरह का शब्द का प्रयोग उन्होंने किया वैसा नहीं होना चाहिए. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है वह अशोभनीय है. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि मेरी पूरी आस्था और निष्ठा पार्टी के लिए है. मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर विश्वास करता हूं यही कारण है कि मैंने अपनी पार्टी का विलय उनकी पार्टी में कर दिया. मैं किसी भी कीमत पर किसी भी विधायक या नेता से उनके लिए गलत शब्दों और गाली को बर्दाश्त नहीं कर सकता.

कुशवाहा ने कहा कि अभी खरमास है, इसलिए मैं बहुत कुछ नया नहीं कर रहा लेकिन खरमास के बाद बहुत कुछ साफ हो जाएगा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मुझे उम्मीद है कि 14 जनवरी के बाद राजद सुधाकर सिंह पर कुछ फैसला लेगा. उपेंद्र कुशवाहा ने जगदानंद सिंह के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज की तारीख में सामाजिक न्याय को बल देने वाले देश के सबसे बड़े नेता हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनता के आशीर्वाद से पीएम बनेंगे ना कि लालू प्रसाद यादव के आशीर्वाद से वो पीएम बनेंगे.

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि मैं दुखी हूं क्योंकि हमेशा खबरें गलत प्रकाशित की जा रही है. मकर संक्रांति के अवसर पर जो भोज का आयोजन मेरी तरफ से किया जा रहा है इसके लिए भी गलत न्यूज चलाई जा रही है. किसी भी पार्टी में रहने का यह मतलब नहीं कि हम किसी सामाजिक संगठन में नहीं रह सकते हैं. लोगों के सामने भ्रामक बातें फैलाई जा रही है. उन्होंने कहा की भारतीय जनता पार्टी के नेता का जन्मदिन था मैंने ट्वीट कर उनको शुभकामना दी. उसके बाद मेरे निष्ठा पर ही शक किया जाने लगा. एक परंपरा रही है विपक्षी पार्टी भी ऐसे मौके पर शुभकामनाएं देते हैं।. शुभकामना पर सवाल एक संकृण सोच है.

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