मोर्चा खोल बिहार में उतरे चिराग पासवान : नीतीश को घेरा- सबसे महंगी बिजली खरीद-बिक्री के बाद 40% रेट बढ़ा रहे

बिहार : लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और सांसद चिराग पासवान चुनावी मोड में आ चुके हैं। एक बार फिर बिहार सरकार पर सीधा हमला बोल रहे हैं। इस बार वह राजनीतिक नहीं, बल्कि आंकड़ों के साथ नीतीश सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने उतरे हैं। शुरुआत उन्होंने बिजली से की है। चिराग पासवान ने बिजली का रेट 40 प्रतिशत तक बढ़ाने की सरकारी प्रस्ताव की बखिया उधेड़ते हुए कहा कि पहले ही बिहार सरकार सबसे ज्यादा रेट पर बिजली खरीदकर सबसे ज्यादा रेट पर आम लोगों को बेच रही है।

BSSC Protest Chirag Paswan Attacked Nitish Kumar On BSSC Candidates Protest  | BSSC Protest: चिराग पासवान ने बीएसएससी अभ्यर्थियों पर हुए लाठीचार्ज पर  नीतीश सरकार को घेरा, सीएम को ...उसपर अंतरराष्ट्रीय मानक 8 प्रतिशत और विद्युत विनियामक आयोग की ओर से 15 प्रतिशत लाइन लॉस की छूट है और बिहार सरकार 35-36 प्रतिशत तक लॉस दिखाकर घोटाला कर रही है। ज्यादा रेट से खरीदना पहला घोटाला, फिर ज्यादा रेट पर बेचना सीधे जनता की जेब कतरना और उसके बाद लाइन लॉस ज्यादा दिखाना…और इतने से भी संतोष नहीं। अब 40 प्रतिशत रेट बढ़ाने की तैयारी है। जिस आदमी को 1071 रुपये में 152 यूनिट बिजली मिल रही है, उससे 1654 रुपये वसूलने की तैयारी अगर जनता के लिए काम है तो यह नीतीश कुमार को ही मुबारक।

40 प्रतिशत रेट बढ़ाने से प्रताड़ित होंगे बिहारवासी
चिराग पासवान ने कहा कि बिजली का रेट पहले ही ज्यादा है और अब सरकार अलग-अलग बहाने कर आम बिहारी को प्रताड़ित करने का मौका तलाश रही है। इसी के तहत 40 प्रतिशत रेट बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने हिसाब बताया कि जिन घरों में 152 यूनिट प्रतिमाह खपत पर आज की तारीख में 1071 रुपये बिल होता है, उन्हें इसी के लिए 1654 रुपये चुकाने होंगे।

आम घरों में यह संकट होगा, जबकि व्यवसायी वर्ग का और ज्यादा बड़ा शोषण होगा। एक तो व्यवसायी कम हैं। जो हैं, वह परेशान होंगे। इसके साथ ही निवेशक भी हतोत्साहित होंगे। निवेशकों को बुलाने के लिए यूपी या गुजरात की तरह मुख्यमंत्री प्रयास नहीं कर रहे और जो हैं, उन्हें प्रताड़ित करने का मौका नहीं छोड़ा जा रहा है।

चिराग ने खरीद-बिक्री का पूरा गणित सामने रखा
लोजपा (रामविलास) ने अध्यक्ष चिराग ने कहा कि बाकी राज्य जहां अधिकतम रेट पर खरीदना समाप्त करते हैं, वहां से बिहार शुरू करता है। उड़ीसा सरकार अधिकतम 2.46 रुपये के रेट पर बिजली खरीदती है और बिहार सरकार 4.26 रुपये में खरीदती है। इससे हर साल बिहार को 5278 करोड़ का जबरन राजस्व नुकसान होता है।

यह अधिक पैसा बिहार सरकार बिजली खरीदने के लिए चुका रही है। क्यों? इसका जवाब देने के लिए कभी बिहार सरकार सामने नहीं आती। अब इसी आधार पर बिजली का रेट बढ़ाती जा रही है और फिर बढ़ाने जा रही है। गोवा में 1.50 रुपये से 4.25 रुपये में बिजली लोगों को मिल जाती है और हमारे लिए न्यूनतम रेट 6.05 रुपये है।

सिर्फ यही बताएं कि खरीदने में ज्यादा रेट क्यों दे रहे
चिराग ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार को लालटेन राज से मुक्ति देकर बिजली राज में लाने का दावा करते हैं तो उन्हें लोगों को परेशान करने की भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और इस भ्रष्टाचार को भी स्वीकार करना चाहिए। अंतराष्ट्रीय स्टैंडर्ड 8 फीसदी लाइन लॉस स्वीकार करता है। विनियामक आयोग 15 प्रतिशत तक की छूट देता है और बिहार में सरकारी बिजली कंपनी 36 प्रतिशत तक लॉस दिखाकर आम उपभोक्ताओं के पॉकेट पर डाका डाल रही है। बिजली बिल का दाम बढ़ाकर जनता को सजा दी जा रही है।

चिराग ने कहा कि आज तक मुझे यही समझ में आया है कि नीतीश कुमार के पास बिहार की समस्या का समाधान ही नहीं है। नीतीश कुमार के जनता दरबार में अगर कोई बिजली समस्या को लेकर जाता है तो उन्हें पता ही नहीं कि इस समस्या का समाधान कैसे होगा। उनके संरक्षण में भ्रष्टाचार का इतना बढ़ गया है कि उन्हें खुद पता नहीं है कि वह इससे कैसे निकलेंगे। नीतीश कुमार को तो यह भी नहीं पता कि हम इतनी महंगी दर पर बिजली खरीद क्यों रहे हैं?

 

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