चो’री की लकड़ी और ढक्कन ही बन गया प्लेट, बिहार के स्कूल में गजब का मिड डे मील

कैमूर: बिहार के कैमूर जिले के एक गुरुजी स्कूल में गजब की मिड डे मील स्कीम चला रहे हैं। खाना बनाने की लकड़ी चोरी की और एक बड़ा सा ढक्कन बन गया प्लेट। मामला जान कर आप भी हैरान रह जाएंगे। ये मामला रामपुर प्रखंड का है। यहां अचानक प्रखंड प्रमुख घुरा सिंह यादव सबार पंचायत के उत्क्रमित मध्य विद्यालय बहेरी में पहुंच गए। उन्हें कई ग्रामीणों ने शिकायत की थी। बीपीआरओ दिव्य शक्ति भी प्रखंड प्रमुख के साथ थीं। निरीक्षण के दौरान स्कूल का हाल दंग करने वाला था। एक बड़े से ढक्कन को घेर पांच-सात बच्चे बैठे थे और उन्हें उसी पर खाना खिलाया जा रहा था।
थाली के बदले एक ढक्कन में पांच बच्चे खा रहे थे खाना

विद्यालय में 350 बच्चे हैं, उसके बाद भी सिर्फ खाने के लिए सिर्फ पांच थालियां है। अधिकांश बच्चे अपने घर से थाली लेकर स्कूल आते हैं तो उसी में खाना खाते हैं। यहां तक की रसोई घर, बर्तन की साफ सफाई भी सही से नहीं करने का आरोप है। अब इसे सिस्टम की लापरवाही कहें या दुर्भाग्य की कई बच्चे भोजन बनाने वाले बड़े बर्तन के ढक्कन में खाना खा रहे थे। वह भी एक साथ पांच से सात बच्चे एक ही ढक्कन में भोजन कर रहे थे। इसे देखकर प्रखंड प्रमुख, बीपीआरओ और कई जनप्रतिनिधि हैरान रह गए। अगर किसी बच्चे को कोई इंफेक्शन या बीमारी हो तो वो ऐसे तो उसके साथ खा रहे दूसरे बच्चों में भी फैल सकता है।निरीक्षण के दौरान स्कूल में शिक्षक शिक्षिका भिड़े

प्रखंड प्रमुख घुरा सिंह यादव ने बताया कि ग्रामीणों की शिकायत पर वो गुरुवार 12 बजे बहेरी विद्यालय जांच के लिए पहुंचे। इस दौरान स्कूल के कैम्पस में उपस्थित रजिस्टर पर हस्ताक्षर बनाने को लेकर एक शिक्षक और शिक्षिका आपस में बहस कर रहे थे। कार्यालय में एक भी कुर्सी नहीं थी। लग रहा था कि स्कूल का कार्यालय नहीं बल्कि किसी दुकान का गोदाम है। इस दौरान बीपीआरओ दिव्य शक्ति भी पहुंच गईं। इसके बाद मिड डे मील की जांच शुरू हुई तो पता चला कि स्कूल में बर्तन ही नहीं हैं, जो हैं वो टूटे हुआ हैं और कई साल पुराने हैं। रसोईघर में गंदगी का अंबार लगा हुआ था। दाल को बिना ढके छोड़ दिया गया था।

6-8 बच्चे नहीं खाते भोजन

कक्षा आठवी की लक्ष्मीना कुमारी, अंशु कुमारी, नीतू कुमारी, राजकुमारी गोंड, निधि कुमारी, सोनमती कुमारी, दुर्गा कुमारी सहित दर्जनों छात्र छात्रा ने बताया कि स्कूल में थाली नहीं है। घर से बच्चे थाली लाकर खाना खाते हैं। कई बच्चे तो एक साथ बर्तन के बड़े प्लेट में खाना खाते हैं। जबकि कक्षा छह से आठ के बच्चे मिड डे मील का भोजन ही नहीं करतेय़

चोरी की लकड़ी से बनता है मिड डे मील

जांच में पता चला कि स्कूल में मिड डे मील गैस सिलिंडर पर नहीं बल्कि चोरी की लकड़ी से बनता है। दरअसल मनरेगा योजना के तहत पौधों की सुरक्षा के लिए इलाके में कई जगहों पर बांस की चाली लगाई गई है। इन बांच की चाली को उठाकर ले आया जाता है और उसी की लकड़ी से मिड डे मील पकता है। इस मामले में रामपुर बीईओ रत्नेश सिंह ने बताया कि जांच में अनियमितता के बारे में जानकारी नहीं है। जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Discover more from Muzaffarpur News

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading