दोस्त से लिए उधार के पैसे लौटाना न पड़े, इसलिए किया खुद के अ’पहरण का ना’टक, घंटे भर में खुल गई पो’ल

बक्सर: नगर में एक युवक के अपहरण की खबर पर बक्सर पुलिस खासी परेशान हुई। खुद उसके परिजनों ने थाना पहुंच उसके अपहरण किए जाने की बात पुलिस से बताई और यह भी बताया था कि उसके जान को खतरा है। इसकी जानकारी मिलते ही पुलिस के हाथ-पांव फूलने लगे। एसपी दीपक बरनवाल ने तत्परता दिखाते हुए उस युवक को बरामद करने के लिए तत्काल एक टीम का गठन कर दिया। जिसके बाद टीम ने एक घंटे में ही उस युवक को ढूंढ निकाला। लेकिन, अपहरण का मामला खोदा पहाड़ निकली चुहिया वाला साबित हुआ। पूछताछ में युवक ने जो सच्चाई बताई बस सबको हैरान करने वाली थी. युवक ने बताया कि उसने अपने दोस्त से मोबाइल फोन खरीदने के लिए कर्ज लिया था, वह इसे लौटा पाने में सक्षम नहीं था। ऐसे में उसने खुद के अपहरण का नाटक किया। बहरहाल पुलिस ने युवक को उसके परिजनों के हवाले कर दिया है।

घटना के संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक नगर के धोबीघाट के मोहल्ले की गली नंबर सात निवासी उपेन्द्र प्रसाद सिंह का पुत्र अंकित कुमार ने बड़की नैनीजोर निवासी अपने एक दोस्त दिपेश कुमार से मोबाईल खरीदने के लिए आठ हजार रुपए कर्ज लिया था। लेकिन बहुत दिन बीत जाने के बाद भी वह उसे पैसा लौटा नहीं रहा था। रविवार को जब दोस्त ने उसपर पैसा के लिए दबाव बनाया तो वह घर से किला मैदान जाने की बात कह निकल गया। शाम करीब 7.30 बजे उसने अपने परिजनों को फोन कर बताया कि उसका अपहरण हो गया है। अपहर्ता उसे स्कार्पियों से लेकर जा रहे है तथा जान मारने की धमकी दे रहे है। अंकित ने बताया कि वह किसी तरह से छिपकर फोन कर रहा है। इसके बाद परिजन किसी अनहोनी की आशंका से सिहर उठे तथा तत्काल टाउन थाने को इसकी जानकारी दी।

जानकारी मिलते ही नगर थानाध्यक्ष दिनेश मालाकार ने प्रभारी एसपी दीपक बरनवाल को इस अपहरण के बारे में जानकारी दी। उन्होंने तत्काल एक टीम गठित कर युवक को सकुशल बरामद करने की रणनीति बनाई। पुलिस ने एक घंटे बाद उसे डुमरांव रेलवे स्टेशन के समीप से बरामद कर लिया।

पुलिस को छकाने का कर रहा था प्रयास 

इस संबंध में जानकारी देते हुए टाउन थानाध्यक्ष दिनेश कुमार मालाकार ने बताया कि जब उसे बरामद किया गया तो वह पुलिस को छकाने का प्रयास करने लगा। पहले उसने बताया कि अपहर्ता उसे एक घर में बंद किया था। वह किसी तरह उनके चंगुल से भाग आया है। लेकिन जब पुलिस ने उस घर को दिखाने को कहा तो वह दूसरी कहानी गढ़ने लगा। लेकिन जब पुलिस ने तेवर दिखाए तो सच्चाई उसके मुंह से निकल गई। अंकित ने पुलिस को बताया कि वह अपने दोस्त दीपेश से मोबाईल खरीदने के लिए आठ हजार रुपये का कर्ज लिया था। वह अपने पैसे के लिए दबाव बना रहा था। इसी के चलते उसने अपने अपहरण की साजिश रची थी। यह सब सुनने के बाद जहां परिजनों ने अपना माथा पीट लिया। वहीं पुलिस थाने से पीआर बांड भरते हुए कहा कि आगे से ऐसी घटना ना हो इसका प्रयास रहेगा।

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