मुजफ्फरपुर. बिहार में मिलने वाली खस्सी-बकरी आमतौर पर एक साल में 10 से 12 किलो वजन की होती है. लेकिन मुजफ्फरपुर के गरहां में आयोजित श्री अर्जुन बाबू पशु मेला और हाट बाजार में राजस्थानी नस्ल के खस्सी बकरा का मंडी सजा है. इस मंडी में सैकड़ों राजस्थानी नस्ल के बकरे लाए गए हैं, जिसकी लोग खरीदारी कर रहे हैं.मेला में बकरा बेचने वाले नीरज कुमार बताते हैं कि राजस्थानी नस्ल के खस्सी-बकरे का विकास बिहार में मिलने वाले बकरे से कई गुना ज्यादा होता है. नीरज बताते हैं कि आमतौर पर बिहार में 3 महीने में कोई भी खस्सी 7 से 8 किलो की ही हो पाता है. वहीं, राजस्थानी नस्ल का बकरा 3 महीने में तकरीबन 20 किलो का हो जाता है.

श्री अर्जुन बाबू पशु मेला और हाट बाजार में खस्सी-बकरी बेचने वाले नीरज बताते हैं की एक साल में इस बकरे का वजन तकरीबन 65 से 70 किलो हो जाता है. वे बताते हैं कि यह राजस्थानी नस्ल का बकरा है. इसके मटन का स्वाद बिहार में मिलने वाले बकरे जैसा ही होता है. लेकिन इसके लिए इसे कुछ दिन तक बिहार में पालना पोसना और यहां का अनाज खिलाना जरूरी होता है. नीरज बताते हैं कि यह नस्ल ही ऐसी है, जिससे अन्य बकरों की तुलना में 3 गुना विकास होता है.
450 रुपये किलो की दर से बकरे की कीमत
तीन माह के बकरे की कीमत मेला में 6000 से लेकर 15000 रुपये तक है. बताया गया कि तीन माह के बकरे का वजन तकरीबन 18 से 20 किलो होता है. नीरज बताते हैं कि वजन के हिसाब से इसे 450 प्रति किलो की दर से बेच रहे हैं. मेला में उनके द्वारा लाए गए सभी बकरे तीन-तीन माह के हैं. नीरज बताते हैं कि इस किस्म के बकरे की खासियत ही यही है कि यह मात्र तीन माह में ही18 से 20 किलो का हो जाता है. आपको बता दें कि यह मेला 15 अप्रैल तक के लिए लगा हुआ है.