इस मंदिर का नीर पीने से नहीं चढ़ता सांप-बिच्छू का ज’हर, जानें किस देवी की होती है पूजा

सहरसा. सहरसा जिला मुख्यालय से तकरीबन 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कहरा प्रखंड के दिवारी स्थान में मां विषहरा का मंदिर है. इस मंदिर की एक अलग ही पहचान है. आसपास के लोगों की मानें तो यह मंदिर दुनियाभर में प्रसिद्ध है. इस मंदिर में पूजा करने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर कई बड़े नेता तक आते रहते हैं. यही नहीं नेपाल, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा सहित बिहार के कई क्षेत्रों से तंत्र साधना के लिए भक्त मैया के दरबार में हाजिर होते हैं. ऐसे में अगर आप भी भगवती के उपासक हैं, तो एक बार इस मंदिर के दर्शन जरूर करें. यहां आने के बाद असीम शांति का एहसास होगा.

इस मंदिर का नीर पीने से नहीं चढ़ता सांप का जहर, जानें किस देवी की होती है  पूजाएक साथ विराजमान हैं पांच देवियां

ग्रामीणों की मानें तो मां विषहरि भगवती स्थान का ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व है. इस मंदिर की परंपरा रही है कि यहां का पुजारी ब्राह्मण नहीं, नाई जाति के ही वंशज होता है. कहा जाता है कि विश्वभर में यह एक ऐसा मंदिर है, जहां एक साथ पांच देवियों की पूजा की जाती है. ये देवियां अलग-अलग नहीं, बल्कि पांच बहनें हैं. हर साल इस भगवती स्थान में भव्य मेले का भी आयोजन होता है. इस मंदिर में जो भी व्यक्ति हाजिरी लगा देता है, उसकी मन्नत जरूर पूरी होती है.

यहां का नीर पिलाने से नहीं चढ़ता सांप या बिच्छू का जहर

इस भगवती मंदिर की एक मान्यता यह भी है कि अगर किसी को कोई सर्प या बिच्छू डस लेता है, तो मैया को चढ़ाया गया नीर (जल) पिलाने से विष नहीं चढ़ता है. पुजारी उपेंद्र भक्ता बताते हैं कि यह मंदिर सैकड़ों वर्ष पहले से है. इस जगह को आदि शक्ति भी कहा जाता है. आदि शक्ति मां भगवती विशाला विष की मालिक हैं. वे बताते हैं कि यहां विराजमान देवी पांच बहन हैं. जिनके नाम दूतला देवी, मनसा देवी, मां भगवती, विषहरा और पांचवीं पायल देवी हैं. कहा जाता है कि दुनियाभर का यह पहला मंदिर है, जहां पांच बहनें एक साथ विराजमान हैं.

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