बिहार का नेशनल शूटर पेट के लिए मुर्गी बेचने पर मजबूर, जीत चुका है ब्रॉन्ज मेडल, स्पोर्ट्स कोटे से भी नहीं मिली नौकरी

नालंदा. बिहार सरकार खेल और खिलाड़ियों के विकास के लिए बड़े-बड़े दावा तो करती है, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. सरकारी उपेक्षाओं की भेंट चढ़ गए हैं राष्ट्रीय शूटिंग रेंज के खिलाड़ी उत्तम कुमार. नालंदा जिले के हरनौत प्रखंड के कल्याण बीघा गांव के उत्तम कुमार राष्ट्रीय स्तर का शूटिंग रेंज के खिलाड़ी हैं. उत्तम पटना ज़िले के बेलछी गांव का रहने वाले है. उनके पिता और बड़े भाई प्रदेश में रहकर मजदूरी करते हैं और उत्तम कल्याणबीघा में किराए में रहकर पढ़ाई के साथ मुर्गी बेच जीविकोपार्जन करते हैं.

बिहार का नेशनल शूटर पेट के लिए मुर्गी बेचने पर मजबूर, जीत चुका है ब्रॉन्ज  मेडल

नेशनल में जीत चुका है ब्रॉन्ज, आज बेच रहा है मुर्गी
उसी दौरान शूटिंग में रुचि जगी तो पढ़ाई के साथ शूटिंग करने लगे. 6 महीने शूटिंग रेंज में प्रशिक्षण लेने के बाद उन्हें राज्य के अलावा राष्ट्र स्तर पर शूटिंग रेंज में खेलने के लिए चयनित किया गया. फिर वहां उत्तम ने ब्रॉन्ज मेडल जीता.  इसके बाद उन्होंने सूबे के अलावा दूसरे प्रदेशों में जाकर खेला और कई मेडल जीता. लेकिन क़िस्मत को कुछ और ही मंजूर था. स्नातक की पढ़ाई पूरा करने के बाद उत्तम ने हरनौत में ही शूटिंग का प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया. लेकिन कोरोना काल की वजह प्रशिक्षण का व्यवसाय पूरी तरह से ठप हो गया और फ्लाई ओवर का काम शुरू हुआ तो साइकिल की दुकान भी टूट गई. जिससे उत्तम की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई और जीविकोपार्जन मुश्किल हो गया. इसके बावजूद उत्तम ने हिम्मत नहीं हारी. वहीं किराए की ज़मीन ₹50,000 में लीज लेकर मुर्गी बेचना शुरू किया, जो आज भी जारी है.

स्पोर्ट्स कोटे से पुलिस में नौकरी के लिए की कोशिश
अब सोशल मीडिया यूट्यूब के जरिए पशु पक्षी पालन करना शुरू कर दिया है. उत्तम कुमार ने बताया वह भाई बहन में सबसे छोटे हैं. मेहनत से जोड़े गए पैसों से प्रैक्टिस के लिए उसने अपनी एयर पिस्टल भी खरीदा था. अभ्यास के साथ वहीं बच्चों को निशानेबाजी भी सिखाते थे. इसी दौरान रोजगार की खोज में कृषि विज्ञान केंद्र के पशु चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. संजीव रंजन मिले. संजीव ने उसे पशु व पक्षी पालन की ट्रेनिंग में शामिल होने का मौका दिया था.

स्पोर्ट्स कोटे से पुलिस विभाग में नौकरी के लिए भी कोशिश की, लेकिन उसे फर्जी सर्टिफिकेट करार दिया गया. जिसके बाद कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया तो तब तक नौकरी ही ख़त्म कर दिया गया. जिसके बाद मुर्गी का दुकान खोलकर चला रहे हैं और परिवार का जीविकोपार्जन चला रहे हैं.

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