लोकसभा की 5 सीट, अपने लिए काराकाट…! जानें उपेंद्र कुशवाहा ने अमित शाह से क्या-क्या डिमांड की

पटना: एक समय था जब उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि यदुवंशी (यादव समाज) का दूध और कुशवंशी (कुशवाहा समाज) का चावल अगर मिल जाए तो सबसे स्वादिष्ट खीर तैयार होगी। तब यह अटकलें लगाई जाने लगी कि उपेंद्र कुशवाहा आरजेडी के साथ गठबंधन बनाएंगे। तब राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने खीर वाले बयान का समर्थन किया था। उन्होंने कहा कि कुशवाहा अच्छे नेता हैं, लेकिन गलत जगह पर हैं। वह एनडीए छोड़कर जल्द हमारे गठबंधन में आ जाएं। अगर हमारे साथ आएंगे तो हम खुले दिल से उनका स्वागत करेंगे। उधर, आरजेडी के नेता तेजस्वी ने ट्वीट कर कहा- ‘प्रेमभाव से बनाई गई खीर में पौष्टिकता, स्वाद और ऊर्जा की भरपूर मात्रा होती है।’

लेकिन कल नॉर्थ ब्लॉक में बीजेपी के रणनीतिकार अमित शाह से रालोजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के मिलने के बाद यह माना जा रहा है कि वे एनडीए को मजबूत करने जा रहे हैं। सियासत के नए समीकरण के साथ बिहार की राजनीति में नए गुल खुलने के संकेत मिल रहे हैं। इस मुलाकात की गंभीरता को इसी बात से समझ सकते हैं कि पार्टी गठन के बाद अमित शाह की उपेंद्र कुशवाहा की पहली मुलाकात है। और वह भी उस खास समय में जब अमित शाह बिहार की राजनीति में गठबंधन को नए सिरे से मजबूत करने में लगे हैं। इस मुलाकात में बिहार बीजेपी सांसद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल का भी मौजूद रहना यह बताता है कि यह प्रयास उनकी प्रदेश अध्यक्ष कार्यकाल से ही चल रहा है।बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व में भी उपेंद्र कुशवाहा को चाहने वाले कई हैं। अपनी पार्टी हित के साथ अपने हित का भी ख्याल कुछ शीर्ष बीजेपी नेता करते हैं। सम्राट चौधरी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद बीजेपी के कुछ नेता चाहते हैं कि उपेंद्र कुशवाहा एनडीए गठबंधन में शामिल हों, ताकी कुशवाहा वोट को एनडीए के पक्ष में करने के एक अकेले जिम्मेवार न हो। हालांकि पार्टी इस जोड़ी को एक और एक को ग्यारह की तरह देखते हैं। बीजेपी के कई सांसद की सीट ऐसी हैं जहां कुशवाहा वोट जीत का कारण बनते रहे हैं। अब उजियारपुर लोकसभा को ही ले लें तो वहां कुशवाहा वोट का काफी महत्व है। यह वह सीट है जहां कभी तुलसीदास मेहता संसद हुआ करते थे। यह वर्तमान सरकार में राजस्व मंत्री आलोक मेहता के पिता भी हैं। इस लिहाजन केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय भी चाहते हैं कि वह गठबंधन में शामिल हों।

क्या उम्मीद होगी कुशवाहा की

जहां तक उपेंद्र कुशवाहा का बीजेपी से उम्मीद है, वह लगभग राजनीतिक क्षेत्र में पता ही हैं। वह 2015 को कोट करेंगे और कहेंगे की, जीत का मेरा सौ प्रतिशत रेकॉर्ड है। सूत्रों की माने तो उपेंद्र कुशवाहा अपने लिए काराकाट लोकसभा सीट की डिमांड की है। यहां से वह संसद भी रहे हैं। इनके निशाने पर दूसरे नंबर पर सीतामढ़ी लोकसभा की है। जहां से राम कुमार ने 2015 लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। इसके अलावा बालमिकीनगर, पूर्णिया और जहानाबाद लोकसभा सीट पर भी वह रालोज्द के उम्मीदवार उतारना चाह रहे होंगे।

क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ

राजनीतिक गलियारों में जो स्थितियां अभी तक हैं उसके अनुसार उपेंद्र कुशवाहा के पास एनडीए के अलावा कोई विकल्प नहीं है। महागठबंधन में जा ही नहीं सकते। बीजेपी को भी बिहार में नए सिरे से गठबंधन बनाना है तो उसे ऐसी छोटी-छोटी पार्टियों की जरूरत होगी। जहां तक सीटों की हिस्सेदारी के तहत उपेंद्र कुशवाहा तो काराकाट लोकसभा अपने लिए मांगेंगे। इसके अलावा बालमिकी नगर, सीतामढ़ी और पूर्णिया मांग सकते हैं। अब यह बीजेपी पर निर्भर करता हैं कि कितनी सीट उन्हें देगी।

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