बबुआ हमार अधिराज होईहें…राजा-धिराज होईहें हो…! लालू यादव के दिल में चल क्या रहा?

पटना: सोशल मीडिया पर आजकल एक गाने की रील खूब वायरल है। जो थोड़ी-बहुत भी भोजपुरी की समझ रखते हैं, इसे पढ़कर फील ले सकते हैं। ‘हमरा बुझाता बबुआ जीएम होईहें… ना रे दीदिया डीएम होईहें रे… रे दीदिया हिंद के सितारा ई त सीएम होईहें… ओसे ऊपर मोदी जस पीएम होईहें हो…।’ गाने का जो हिस्सा वायरल है, वो इतना ही है। मगर ये गीत इससे आगे भी हैं। इसी में आगे हैं कि

Bihar Politics: After Lalu Prasad Yadav Only Tejashwi Yadav Is The Leader  Of Party Announcement In RJD Meeting Delhi | Bihar Politics: लालू प्रसाद  यादव के बाद RJD के सर्वेसर्वा सिर्फ तेजस्वी!‘बबुआ हमार अधिराज होईहें… राजा-धिराज होईहें हो… सिरवा के मुकुट-मणिराज होईहें हो… घरवा के नाज होईहें हो…।’ वैसे ये बहुत पुराना सोहर गीत है। आमतौर पर परिवार में जब किसी संतान का आगमन होता है तो खुशी में घर की महिलाएं इसे ग्रुप में गाती हैं। मगर शब्दों की हेरफेर से इसे सियासी रंग में रंग दिया गया। खास बात ये की लोगों को खूब पसंद भी आ रहा है। जाहिर-सी बात ये आरजेडी सुप्रीमो के दिल को भी सुकून दे रहा होगा।

हेल्थ ने मूड ऑफ कर रखा है!

लालू यादव जब-जब पटना आते हैं, आरजेडी के पुराने कार्यकर्ताओं की आंखें चमक उठती है। उनके शरीर में अजीब-सी कसमसाहट होने लगती है। जब से तेजस्वी यादव को लालू यादव ने राजपाट दे दिया तब से उम्मीदें और बढ़ गई है। अब तो कई स्तर पर नीतीश कुमार ने भी छूट दे दी है। मगर वो ‘आजादी’ नहीं मिल रही। अब भी कुछ न कुछ बंदिशें जरूर हैं। आरजेडी के नेताओं-कार्यकर्ताओं को तो सबकुछ खुल्लम-खुला चाहिए। लालू यादव को भी ‘कंजूसी’ की आदत नहीं रही है। मगर ये तबीयत, जो न कराए। वरना अब तक तो ‘बबुआ हमार’ रील्स को सच साबित कर दिए रहते। वैसे, लालू यादव को किसी बात की परेशानी नहीं है। सहमति से ही नीतीश कुमार की सरकार चल रही है। मगर पावर से ज्यादा ‘कुर्सी’ में दिल अटक गया है। हेल्थ ने मूड ऑफ कर रखा है।

2025 के बाद सबकुछ तेजस्वी का
वैसे, कहने को तो बिहार में नीतीश कुमार की सरकार है, लेकिन नीतिगत फैसलों पर डिप्टी सीएम और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की छाप साफ दिखाई दे रही है। जिन बातों से नीतीश कुमार दूर भागते रहे हैं, अब वे अपने ही फैसले पलटने लगे हैं। इसी से ये लगने लगा है कि बिहार में कहने को भले नीतीश कुमार सरकार चला रहे हैं, लेकिन फैसले वे लालू और तेजस्वी यादव की सहमति से ले रहे हैं। हालांकि राजनीतिक विश्लेषक इसे चुनाव के मौसम में सरकार के तरकश से निकले हुए तीर बता रहे हैं। अनुमान लगाया जाता है कि तेजस्वी यादव को बिहार में स्थापित करने के लिए नीतीश कुमार ऐसा कर रहे हैं। लालू यादव तक नीतीश कुमार यही मेसेज पहुंचा भी रहे हैं कि 2025 के बाद तो सबकुछ तेजस्वी जी का ही है।

सत्ता ट्रांसफर का मजा लेना चाहते हैं लालू

नीतीश कुमार बार-बार लालू यादव को संकेत दे रहे हैं कि उनकी (तेजस्वी) हर सलाह को अमल में ला रहे हैं। नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय राजनीति में अपनी जो भूमिका चुनी है, उसमें राज्य चलाने का समय उन्हें शायद ही मिल पाए। इसलिए फिलहाल तेजस्वी की ताजपोशी तो नहीं होगी, लेकिन परोक्ष तौर पर सरकार वही चलाएंगे। अब तो आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद भी पटना आ गए हैं। मतलब पुराना अनुभव और नए तेवर का मिक्सचर देखने को मिल सकता है। जानकार ये भी मानते हैं कि नीतीश कुमार अब धीरे-धीरे सत्ता तेजस्वी के हाथ में सौपेंगे। लालू यादव नहीं चाहते कि दोनों हाथ से सत्ता को हथिया लें, बल्कि इसका पूरा मजा लेने के लिए वो कांटे-चमच का इस्तेमाल करना चाहते हैं।

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