नालंदा : नालंदा में रामनवमी पर निकली शोभायात्रा लगभग एक महीने बाद गंतव्य तक पहुंची है। भगवान राम-सीता को बाबा मणिराम के अखाड़ा तक पहुंचा दिया गया। दरअसल, 31 मार्च को बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद एवं अन्य संगठनों के द्वारा रामनवमी शोभायात्रा निकाली गई थी दो पक्षों के बीच हुई हिंसा के बाद शोभायात्रा को बीच में ही रोकना पड़ा था।

इसके कारण भगवान राम-सीता की प्रतिमा अपने गंतव्य बाबा मणिराम के अखाड़ा तक नहीं पहुंच सकी थी। रामनवमी पूजा समिति के अनुरोध पर पुलिस और प्रशासन की उपस्थिति में शुक्रवार की सुबह भगवान राम एवं माता सीता की मूर्ति को ब्रह्म मुहूर्त में शहर के मोगल कुआं से बाबा मणिराम के अखाड़ा ले जाया गया। अखाड़ा समिति के सदस्यों के द्वारा मूर्ति की पूजा की गई। जिलाधिकारी शशांक शुभंकर एवं पुलिस अधीक्षक अशोक मिश्रा भारी सुरक्षा बल के साथ मौजूद रहें।

दरअसल रामनवमी शोभा यात्रा बिहार शरीफ में कई वर्षों से आयोजित हो रही है। परंपरा यह रहती है कि भगवान राम सीता की प्रतिमा को बाबा मणिराम के अखाड़ा तक ले जाया जाए और वहां पूजन के बाद शोभायात्रा को समाप्त किया जाए। लेकिन इस बार शोभायात्रा अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच सका था। इसके कारण भगवान राम और सीता की मूर्ति को मुगल कुआं में पुलिस की देखरेख में रखा गया था जिसे आज भारी सुरक्षा के बीच बाबा मणिराम के अखाड़ा तक पहुंचाया गया। इस मौके पर विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल एवं अखाड़ा समिति के द्वारा जिला प्रशासन को धन्यवाद ज्ञापन किया गया।
जिले में कर्फ्यू लगाना पड़ा गया था
बता दें कि 31 मार्च और एक अप्रैल को रामनवली जुलूस के दौरान दो पक्षों में भिड़ंत के बाद हिंसा भड़क गई थी। इसमें पहाड़पुर के पास दो पक्षों में कहासुनी के बाद फायरिंग शुरू हो गई थी। इस दौरान दोनों पक्षों की ओर से 30-40 राउंड फायरिंग हुई। फायरिंग में दो पक्षों के एक-एक को गोली लगी, जिसमें 17 साल के गुलशन की मौत हो गई थी। एक भवन में आग लगा दी गई थी। उपद्रव इतना बढ़ा कि तनाव पर काबू पाने के लिए धारा 144 से काम नहीं चला। प्रशासन को कर्फ्यू लगाना पड़ गया था। इतना ही नहीं हालात शांत करने के लिए प्रशासन ने इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी थी। हालांकि, प्रशासन-पुलिस और स्थानीय लोगों की कोशिश से जल्द ही हालात सामान्य हो गया।