33 साल में मांझी ने 7 बार बदली पार्टी, क्या बिहार में लगाएंगे बीजेपी की नैया पार?

बिहार में नीतीश कैबिनेट से जीतनराम मांझी के बेटे और हम के अध्यक्ष संतोष सुमन के मंत्रिमंडल से इस्तीफे के बाद नये सियासी समीकरण बन रहे हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि एक बार फिर 2015 की तरह मांझी एनडीए में शामिल हो जाएंगे. अब सवाल ये उठता है कि क्या बिहार में एनडीए की नैया को मांझी के रूप में खेवनहार मिल गया है. 2023 में बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानि एनडीए का स्वरूप 2015 के विधानसभा चुनाव की तरह बनता दिख रहा है. बात 2015 की करें तो उस समय विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ रामविलास पासवान की एलजेपी, उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा और जीतनराम मांझी की पार्टी हम साथ में थी.

बोले जीतन राम मांझी- 23 के बाद देखिएगा कि हम क्या करते हैं -क्या 2015 जैसे हो जाएंगे NDA के सियासी समीकरण?

मंगलवार को एससी-एसटी कल्याण मंत्री डॉक्टर संतोष सुमन के इस्तीफे के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि जीतन राम मांझी जल्द ही एनडीए का दामन थाम सकते हैं. वहीं, कुशवाहा की बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात और चिराग पासवान को पीएम मोदी का हनुमान बताना और उनके प्रति हमेशा निष्ठा बनाए रखना. साथ ही चाचा पशुपति पारस पहले से ही एनडीए के हिस्सा हैं और केंद्र सरकार में मंत्री. इन लोगों के एनडीए में शामिल होने के साथ ही बिहार में 2015 के विधानसभा जैसा सियासी समीकरण दोबारा बनता दिख रहा है. इस बात के संकेत मांझी के अटैकिंग बयानों से लगाये जा सकते हैं. महागठबंधन से अलग होने के बाद वे लगातार शराब नीति और बालू नीति को लेकर नीतीश सरकार पर हमलावर हैं तो मांझी के ये बोल बीजेपी को भी खूब पसंद आ रहे हैं.

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