पटना. देश के अन्य हिस्सों की तरह अप्रैल-मई, 2021 की विनाशकारी डेल्टा लहर के दौरान बिहार भी जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से लगातार जूझ रहा था. मगर उस दौरान सबसे खराब हालत एंबुलेंस सेवा डायल 102 की थी. जिसे 2017 और 2022 के बीच पशुपतिनाथ डिस्ट्रीब्यूटर्स प्राइवेट लिमिटेड (PDPL) और सम्मान फाउंडेशन का संघ संचालित कर रहा था. कोविड महामारी के दो घातक वर्षों- 2019 और 2021 के बीच 12 ऑडिट रिपोर्टों में सामने आया कि इन एंबुलेंसों में कई कमियां थीं. इन एंबुलेंस में एक्सपायर्ड दवाओं के मिलने से लेकर ऑक्सीजन सिलेंडर की गैर मौजूदगी, पर्याप्त स्टाफ की कमी और गंदगी पाई गई थी. मगर उसे चलाने का ठेका फिर से पुरानी कंपनी को दिया गया है.
‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने अपनी एक रिपोर्ट में खुलासा किया है कि पीडीपीएल और सम्मान फाउंडेशन की एंबुलेंस सेवा में कई गंभीर खामियां मौजूद थीं. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत केयर (CARE) के एक विंग स्टेट रिसोर्स यूनिट (SRU) ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में कई गड़बड़ियों को सामने रखा है. ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक 4 अक्टूबर, 2019 को भागलपुर और मुंगेर जिलों में निरीक्षण की गई सात एंबुलेंस में एक्सपायर्ड माइक्रो-ड्रिप सेट सहित एक्सपायर्ड दवाएं एंबुलेंस पर पाई गईं. जबकि मुंगेर के जमालपुर में किसी भी एंबुलेंस में ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं मिला. ये केवल एक घटना नहीं है. अपनी ऑडिट रिपोर्ट में संस्था ने इस तरह के कई उदाहरण सामने रखे हैं.
पीडीपीएल द्वारा डायल 102 एंबुलेंस चलाने का यह दूसरा कार्यकाल है. लेकिन इस बार उसे एकमात्र बोलीदाता होने के कारण ठेका मिला है. पीडीपीएल के निदेशकों ने एसआरयू की प्रतिकूल ऑडिट रिपोर्ट के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब नहीं दिया. जबकि ऑडिट रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर सम्मान फाउंडेशन के निदेशक ने कहा कि उसकी जिम्मेदारी केवल तकनीकी जानकारी शेयर करने तक सीमित थी. बाकी हर मामले में पीडीपीएल जिम्मेदार थी.
बिहार सरकार ने 31 मई को 1600 करोड़ रुपये का नया ठेका पीडीपीएल को पांच साल के लिए देने का फैसला किया है. यह ठेके को चुनौती देने वाली याचिका के निपटारे तक इंतजार करने के लिए अदालत की चेतावनी के बावजूद किया गया है. पीडीपीएल के निदेशक जद (यू) के सांसद चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी के रिश्तेदार और परिवार के सदस्य हैं. जिन्होंने किसी भी तरह के पक्षपात से इनकार किया है.

