पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में भाजपा विरोधी 15 पार्टियों की बड़ी बैठक शुक्रवार को पटना में हुई. इसमें विभिन्न दलों के प्रमुख नेता शामिल हुए और केंद्र की भाजपा सरकार के विरुद्ध 2024 लोकसभा चुनाव साथ लड़ने पर सहमति बनी. अब विपक्षी एकता की मीटिंग आगामी 12 जुलाई को हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में होगी, जहां इस मुद्दे को लेकर आगे की रणनीति पर चर्चा होगी. लेकिन, बीजेपी इस मीटिंग को केवल हौव्वा बता रही है और इसके परिणाम को टांय-टांय फिस्स बता रही रही है. भाजपा ने यह भी सवाल पूछा है कि नीतीश कुमार का सियासी कद इस बैठक में बढ़ना वाल था और उनको राष्ट्रीय संयोजक बनाए जाने की चर्चा थी, लेकिन उसकी घोषणा क्यों नहीं की गई?
बीजेपी के वर्तमान राज्यसभा सांसद और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने तंज भरे लहजे में कहा है कि विपक्ष की बैठक ‘खोदा पहाड़ निकली चुहिया’, वाली कहावत को चरितार्थ करती है. परंतु बैठक के बाद जो चुहिया निकली वह भी मरी हुई. सुशील मोदी ने कहा कि बैठक कि एक ही उपलब्धि है कि अगली बैठक का स्थान और तिथि तय हो गई. बैठक में न तो प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार, न ही नीतीश कुमार को संयोजक बनाने की चर्चा हुई.
सुशील मोदी ने सवाल उठाया कि इस बैठक का क्या परिणाम निकला? क्या नीतीश कुमार को संयोजक बनाने पर फैसला हुआ? विपक्षी दलों की प्रेस कॉन्फ्रेंस का दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने क्यों बायकॉट किया? सुशील मोदी ने कहा कि विपक्ष की बैठक फ्लॉप रही, क्योंकि इसमें न तो प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं नीतीश कुमार को संयोजक बनाने की चर्चा हुई. उल्टे अरविंद केजरीवाल गुस्से में प्रेस कॉन्फ्रेंस छोड़ कर चले गए.
सुशील मोदी ने कहा कि 7 मुख्य विपक्षी दल बैठक से नदारद थे. बैठक में शामिल 15 दलों में 10 परिवारवादी दल हैं और 12 दल ऐसे हैं जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं. ऐसे वंशवादी और भ्रष्टाचार में लिप्त पार्टियां ईमानदार नरेंद्र मोदी का मुकाबला नहीं कर सकतीं. बता दें कि समान विचारधारा वाली पार्टियों की पटना में शुक्रवार को हुई बैठक में अगले चुनाव में एकजुट होकर चुनाव लड़ने को लेकर चर्चा हुई.
बता दें कि बैठक में 15 दलों के 27 नेता शामिल हुए. इन नेताओं में नीतीश कुमार, राहुल गांधी, ममता बनर्जी, एमके स्टालिन, मल्लिकार्जुन खड़गे, भगवंत मान, अरविंद केजरीवाल, हेमंत सोरेन, उद्धव ठाकरे, शरद पवार, लालू प्रसाद यादव अखिलेश यादव, केसी वेणुगोपाल, सुप्रिया सुले, मनोज झा, फिरहाद हकीम, प्रफुल्ल पटेल, राघव चड्ढा और संजय सिंह, संजय राऊत, राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, संजय झा, सीताराम येचुरी, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ़्ती टीआर बालू , दीपंकर भट्टाचार्य, तेजस्वी यादव, अभिषेक बनर्जी, डेरेक ओ’ब्रायन, आदित्य ठाकरे और डी राजा शामिल थे.
