लखीसराय : लखीसराय का अशोक मंदिर जिसे बिहार का देवघर भी कहा जाता है, आज फिर से चर्चा में है। यहां देश के गृह मंत्री अमित शाह पूजा अर्चना करने वाले हैं। इसके लिए सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मंदिर के रंगरोहण का काम पहले ही पूरा कर लिया गया है। मंदिर परिसर और आसपास चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात हैं।
इसलिए इसका नाम अशोक धाम मंदिर पड़ गया
जानकारों के अनुसार 7 अप्रैल 1977 को अशोक नाम के चरवाहे ने जमीन के नीचे विशालकाय शिवलिंग की खोज की। मान्यता है कि अशोक रोज गाय चराने के लिए इधर आता था। दिन गिल्ली-डंडा खेलने के क्रम में उसने एक विशाल शिवलिंग को धरती के अंदर पड़ा देखा। उसने शिवलिंग को उखाड़ने की कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया। इसके बाद ग्रामीणों ने इस जगह पर मंदिर का निर्माण करवा दिया। चूंकि अशोक ने इस शिवलिंग की खोज की थी, इसलिए इसका नाम अशोक धाम मंदिर पड़ गया। 11 फरवरी 1993 को, जगन्नाथपुरी के शंकराचार्य ने मंदिर परिसर के पुनर्निर्माण का उद्घाटन किया। इस मंदिर में शिवरात्रि और सावन में श्रद्धालु लाखों की संख्या में इकट्ठा होते हैं। इस मंदिर को लोग यहां के लोग बिहार का देवघर भी कहते हैं। पहले लोग देवघर में बाबा वैद्यनाथ धाम जाकर पूजा करते थे। बाद में इस इलाके के लोगों ने इस शिव लिंग के पूजा यही प्रारंभ कर दिया।
लोग प्राचीनतम भी बताते हैं इसे
स्थानीय लोगों की मानें तो यह स्थान 8वीं शताब्दी से पूजा का केंद्र रहा है। पाल वंश के छठे सम्राट नारायण पाल ने आठवीं शताब्दी में इस शिवलिंग की नियमित पूजा की शुरुआत की थी। इसके बाद 12वीं शताब्दी में राजा इंद्रद्युम्न द्वारा इस स्थान पर एक मंदिर का निर्माण कराया गया था। लखीसराय के लाल पहाड़ी स्थान पर उनका राज महल था। यहीं से सुरंग बनवाया गया था। यह सुरंग सीधे इस मंदिर में आता था। दावा किया जाता है कि मुगल काल में इस मंदिर को तोड़ दिया गया था और कई सालों तक जमीन के ऊपर कोई अवशेष नहीं थे। 7 अप्रैल 1977 को, अशोक नाम के चरवाहे ने इस शिवलिंग की खोज की।


