आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा यानी 3 जुलाई को इस बार गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा. इस पर पूर्णिया के पण्डित कहते हैं कि गुरु पूर्णिमा मास के आषाढ़ महीने में 3 जुलाई को होना है. पंडित मनोत्पल झा ने बताया की गुरु पूर्णिमा को जानने से पहले आपको गुरु को जानना पड़ेगा. इस दोहा को जानना होगा.” गुरु गोविंद दोऊ खड़े ,काको लागे पाय, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए”. गुरु से बढ़कर कोई नहीं है, प्रथम गुरु हमारी प्रकृति है. उसके बाद हमारे माता और पिता हैं. हमें ज्ञान और शिक्षा देने वाले गुरु है. इनकी पूजा किसी एक दिन नहीं होनी चाहिए. इनकी पूजा रोज होनी चाहिए.
व्यास जी के कारण ही गुरु पूर्णिमा का पर्व शुरू हुआ
पंडित जी आगे कहते हैं कि इस दिन वेदव्यास जी का जन्म हुआ था. व्यास जी का कहना है कि महाभारत के रचयिता मैं हूं, अगर मैं नहीं रहता तो कुरुक्षेत्र में महाभारत नहीं होता. वह गुरु रहते हुए भी महाभारत की रचना कर दिए. क्योंकि वह पराशर मुनि के सामने आए थे. मत्स्यगंधा के पुत्र थे, जो बाद में शांतनु की अर्धांगिनी बनी. इसलिए गुरु पूर्णिमा के लिए हम लोगों को व्यास जी के बारे में जानना होगा. व्यास जी के कारण ही गुरु पूर्णिमा का एक महत्वपूर्ण पर्व रखा गया.
आपका उत्थान यहीं से शुरू होता है
इस दिन अगर आप सबसे पहले अपने माता पिता और प्रकृति की पूजा कर सादर प्रणाम करते हैं तोआपका उत्थान संसार में कोई नहीं रोक सकता. क्योंकि एक ही कहावत है गुरु गोविंद दोऊ खड़े काको लागे पाय बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए.
प्रतिदिन करें ये काम
गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर के अपने माता-पिता अपने गुरुजन अपने श्रेष्ठ को प्रणाम करें. केवल गुरु पूर्णिमा का दिन ही नहीं. अगर आपने प्रतिदिन अपने माता पिता और गुरुजनों को प्रणाम करते हैं, तो आप का उत्थान दिन प्रतिदिन होता रहेगा. इसके साथ-साथ अगरअपने गुरुजनों को जो आपको पढ़ा लिखाया है, उनकी सेवा करें.उन्हें बुलाकर शरबत पिलाएं. उन्हें दान दें और वस्त्र दें. कुछ कलमदान दें. यह आपके लिए सबसे उत्तम और फायदेमंद साबित होगा.

