सावन में बढ़ जाता है रुद्र महायज्ञ का महत्व, भोलेनाथ की कृपा से बनते हैं सारे बिगड़े काम

बिहार : श्रावण के महीने में इस बार पुरषोत्तम माह का विशेष संयोग बन रहा है, जिसकी वजह से 58 दिन तक भगवान भोलेनाथ की आराधना की जाएगी. सावन माह की शुरुआत होते ही मंदिर में, शिवालयों में, घरों में लोग भोले की भक्ति में लीन हो गए हैं. ऐसे ही सागर के मकरोनिया में असंख्य पार्थिव शिवलिंग निर्माण, रुद्र अभिषेक और शिव कथा के सहयोग से रुद्र महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है. रुद्र महायज्ञ से भोलेनाथ की कृपा होती है और सारे बिगड़े काम बनते हैं.

Sawan Somvar 2022 Devotees Throng Lord Shiva Temples To Offers Prayers On  First Monday Of Sawan- Sawan Somvar: सावन के पहले सोमवार को भगवान शिव के  मंदिरों में पूजा-अर्चना करने पहुंचे ...सिविल लाइन रोड स्थित मकरोनिया के पालिका ग्राउंड में रोजाना सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु इसमें अपनी आहुति देने के लिए शामिल हो रहे हैं. सुबह 7:00 बजे से रात 9:00 बजे तक विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम यहां पर चलते रहते हैं और शिव भक्तों का तांता लगा रहता है. बता दें कि बुंदेलखंड में असंख्य पार्थिव शिवलिंग निर्माण और रुद्र महायज्ञ ब्रह्मलीन संत पंडित देव प्रभाकर शास्त्री दद्दा जी करवाते थे, लेकिन अब उन्हीं की कृपा से दद्दा जी के ही शिष्य पंडित केशव गिरी महाराज के सानिध्य में यह रूद्र महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है.

विश्व कल्याण के लिए शिवलिंग निर्माण का मिशन चलाया
रुद्र महायज्ञ को लेकर केशव महाराज बताते हैं कि दद्दा महाराज के द्वारा राष्ट्र कल्याण और विश्व कल्याण के लिए शिवलिंग निर्माण का मिशन चलाया था, इसी अभियान की श्रृंखला में हम भी कुछ आहुतियां देने का प्रयास कर रहे हैं. उन्हीं के सामर्थ्य से दद्दा जी महाराज के सामर्थ्य से यह कर पा रहे हैं.

उन्होंने पार्थिव शिवलिंग निर्माण का महत्व बताते हुए कहा कि श्री शिव महापुराण में वर्णन है ” यथा सर्वेषु लिंगेशु, जेष्ठा श्रेष्ठा महेश्वरा” जिस प्रकार से असंख्य पार्थिव शिवलिंग में महेश्वर नामक शिवलिंग श्रेष्ठ कहा गया है, उसी तरह पार्थिव शिवलिंग में जेष्ठ और श्रेष्ठ कहा गया है. इसी श्रंखला में जो भी पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करें उसके सभी अभीष्ट कार्य सिद्ध हो जाते हैं जैसे त्रेतायुग में भगवान राम का जन्म हुआ तो भगवान शंकर ने मृत्यु लोक में आकर पार्थिव शिवलिंग का निर्माण किया था, माता पार्वती ने शिव जैसा पति पाने के लिए बालू से शिवलिंग निर्माण किया था.

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