रांची: सावन का महीना शुरु हो चुका है और इस पाक महीने में लोग खासकर शिव भगवान की आराधना करते हैं.कहा जाता है सावन के महीने में शिव भगवान की पूजा करना बाकी महीनों से अधिक फलदाई होता है. इस दौरान अक्सर देखा जाता की कुवांरी कन्या हर सोमवार को अपने मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए व्रत व पूजा-अर्चना करती है. ऐसे में आज हम आपको झारखंड की राजधानी रांची के एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताने वाले हैं.जहां की मान्यता है कि कुंवारी कन्या इस मंदिर में माथा टेक ले, तो उन्हें मनचाहे वर की प्राप्ति होती है.
हम बात कर रहे हैं रांची के नामकोम स्थित मराशिलि पहाड़ स्थित शिव मंदिर की.मंदिर के पुजारी शंभु ने लोकल 18 को बताया यह मंदिर कब और कैसे बनाया यह आज तक कोई नहीं जानता.इससे शिव भगवान का चमत्कारी मंदिर भी कहते हैं.यह पहला मंदिर है जिसके चार दरवाजे है.साथ ही इसमें शिव भगवान की शिवलिंग स्वम्भू है. यानी ये पहाड़ से अपने आप निकली है.सावन के महीने में यहां जबरदस्त भीड़ होती है. खासकर कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर के लिए सोमवार को जलाभिषेक करती है.
कुंवारी कन्याओं की होती है वर की इच्छा पूरी
पुजारी शंभू बताते हैं यहां हर सोमवार को कुंवारी कन्या यहां आकर अपने वर की इच्छा को लेकर मनोकामना मांगती है.लेकिन मनोकामना मांगते समय आपके मन में सच्ची श्रद्धा होनी चाहिए.साथ ही मनोकामना मंदिर के बाहर विराजमान नंदी के कान में बोलकर व त्रिशूल में एक धागे बांध कर की जाती है.साथ ही एक नारियल भी चढ़ाया जाता है पर उस नारियल को फोड़ा नहीं जाता. आगे बताते हैं, मैंने खुद एक व्यक्ति की पूजा कराई है जो रांची तुपुदाना में रहते हैं वह काफी परेशान होकर मेरे पास आए थे.यह कहते हुए कि उनकी बेटी की शादी नहीं हो रही है उसकी उम्र 30 पार हो चुकी है.बार-बार शादी की बात होती है पर कट जाती है.यहां उन्होंने अपनी बेटी की शादी की मन्नत मांगी व बेटी ने भी आकर जलाभिषेक किया और पूजा अर्चना के 15 दिन के बाद ही बेटी की शादी तय हो गई.
दूर-दूर से मन्नत मांगने आते हैं लोग
यहां मन्नत मांगने बूटी मोर से आई अंकिता उरांव ने बताया, मैंने सुना था कि यहां कुंवारी कन्याओं की इच्छा पूरी होती है. इसलिए आज मैं यहां पर भगवान के सामने अच्छे वर की कामना करने के लिए आई हूं.यहां आकर बहुत शांति मिल रही है और एक तसल्ली भी मिल रही है, ऐसा लग रहा है मानो मनोकामना जरुर पूरी होगी. पुजारी शंभू बताते हैं यहां लोग रांची के कोने-कोने से आते हैं.इतना ही नहीं बल्कि धनबाद, बोकारो, गोड्डा, रामगढ़ व नेपाल तक के लोग जहां मनोकामना लेकर आते हैं.

