टैक्सी ड्राइवर का बेटा: बिहार के लाल ने इंडिया में टेस्ट के बाद टी20 में बनाई जगह

पटना : हम बहुत खुश बानी… आज लइका हमार खेलिहन, हम बहुत खुश बानी. ऐसे ही तरक्की करिहन…ये शब्द हैं क्रिकेटर मुकेश कुमार की मां मालती देवी के. बता दें कि भारत और वेस्टइंडीज के बीच चल रही टेस्ट सीरीज में मुकेश को पहली बार टेस्ट टीम के प्लेइंग इलेवन में मौका मिला है. टेस्ट में डेब्यू करने वाले मुकेश बिहार के गोपालगंज के रहने वाले हैं. इस मैच में बिहार के दो लाल खेल रहे हैं. मुकेश का घरेलू और आईपीएल मैचों में अब तक शानदार प्रदर्शन रहा है. जिसका उन्हें इनाम मिला है. उनके दोस्त अमित सिंह ने कहा कि ईश्वर से प्रार्थना करेंगे की मुकेश अपने पहले मैच में 5 विकेट लें.

टैक्सी ड्राइवर का बेटा है बिहार का लाल, पार्ले-जी के लिए लगाया था पहली बार  जी जान, अब इंडिया में टेस्ट के बाद टी20 में बनाई जगह - Mukesh Kumars father  wasक्रिकेटर मुकेश के भाई धनचेत ने बताया कि पूरे जिले में खुशी की लहर है. चार साल की उम्र से ही क्रिकेट के प्रति उसका लगाव था. इसी क्षेत्र में आगे बढ़ने की इच्छा थी. शुरूआत में दो गांव के बीच जब मुकाबला होता था तो लोग मुकेश को ले जाते थे. गली-मोहल्ले से खेलते-खेलते बिहार का यह लड़का आज अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बन गया है. मुकेश की मां मालती देवी ने स्थानीय भाषा भोजपुरी में कहा कि हम बहुत खुश बानी. उन्होंने कहा, ‘मोबाइल पर मैच देखते हैं और जब- जब वो दिखता है बहुत खुशी मिलती है. जब वो गेंदबाजी करने आएगा तो और अच्छा लगेगा देख कर. मेरा आशिर्वाद हमेशा उसके साथ है, खूब खेले और आगे बढ़े’.
सीरीज में डेब्यू करने वाले दूसरे बिहारी
इस मैच में बिहार के दो खिलाड़ी खेल रहे हैं. भारत और वेस्टइंडीज के बीच चल रही टेस्ट सीरीज के पहले मैच में बल्लेबाज ईशान किशन ने डेब्यू किया था, तो वहीं दूसरे टेस्ट मैच में पेसर मुकेश कुमार को मौका मिला. मुकेश का यह सफर आसान नहीं रहा. पिता कोलकत्ता में टैक्सी ड्राइवर थे और मुकेश वहीं पर क्रिकेट खेला करते थे. एक दौर वो भी था जब मुकेश कुपोषण का शिकार हो गए थे, लेकिन उनकी हिम्मत और पूर्व क्रिकेटर राणादेब बोस की मदद ने मुकेश को इस मुकाम तक पहुंचाया.
बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन का सहयोग
एक चयन ट्रॉयल में राणादेब बोस ने मुकेश की प्रतिभा को पहचाना. राणा ने बढ़िया जूतों से लेकर मुकेश की रहने की व्यवस्था सुनिश्चित कराने के लिए तत्कालीन कैब सचिव और भारतीय पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को राजी किया. जब मुकेश कुपोषण से जूझ रहे थे, तो ऐसे समय में उनके इलाज के खर्चें की व्यवस्था बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन ने कराई. मुकेश का प्रदर्शन निखरा, तो फिर उन्हें गांगुली, मनोज तिवारी सहित कैब से पूरा समर्थन और सहयोग मिला.

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