वैशाली : इंजीनियर की नौकरी छोड़कर मधुबनी जिले में एक युवा ने गुरुकुल खोला है. यहां वह मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों को पढ़ता है. इस युवा का नाम है ई. चंदन. इस गुरुकुल में हर साल 15 ऐसे विद्यार्थियों का चयन किया जाता है, जो गरीब परिवार से आते हैं. ई. चंदन के गुरुकुल में इन 15 बच्चों की पढ़ाई, किताब और रहने-खाने तक की व्यवस्था वे मुफ्त में करते हैं. यही कारण है कि पिछले कुछ समय से ई. चंदन यहां चर्चा में आ गए हैं. आज हम उन्हीं की जुबानी जानते हैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने से लेकर विद्यार्थियों को डॉक्टर और इंजीनियर बनाने तक की कहानी.
गरीब विद्यार्थियों मदद
मधुबनी जिले के कलुआही बेलाही गांव के रहनेवाले विनय कुमार के पुत्र ई. चंदन ने 10 साल पहले दुर्गापुर से बीटेक किया था. इसके बाद रिलायंस में वरीय मैकेनिकल इंजीनियर बने. नौकरी करते हुए भी चंदन, गरीब और मेधावी बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दिया करते थे. लेकिन कुछ दिनों के बाद नौकरी छोड़कर मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए हाजीपुर में गुरुकुल क्लासेज की शुरुआत की.
इतने विद्यार्थियों का चयन
वे कहते हैं कि पिछले पांच साल में उनके मार्गदर्शन में 20 विद्यार्थियों का देश के विभिन्न मेडिकल कॉलेज, 30 विद्यार्थियों का एनआईटी और 6 विद्यार्थियों का आईआईटी में एडमिशन हुआ है. जबकि अबतक 10 विद्यार्थी अपनी पढ़ाई पूरी कर चुके हैं.
टैलेंट सर्च से विद्यार्थी चयन
ई. चंदन ने 5 साल पहले जो शुरुआत की थी, वह आज सैकड़ों बच्चों के लिए वरदान साबित हो रही है. वे बताते हैं कि सर्च परीक्षा के माध्यम से बिहार, झारखंड और वैशाली जिले के विभिन्न क्षेत्र के गरीब बच्चों का टेस्ट लिया जाता है. टेस्ट में सफल 15 छात्रों को प्रत्येक वर्ष संस्थान की ओर से रहना, खाना और पाठ्य पुस्तक उपलब्ध कराकर उन्हें 24 घंटे अपनी निगरानी में रखकर आईआईटी और मेडिकल एन्ट्रेंश की तैयारी कराते हैं. उन्होंने बताया कि लड़का और लड़की के लिए अलग-अलग आवासीय सुविधा दी जाती है. जो छात्र गुरुकुल की परीक्षा पास नहीं कर पाते हैं, उन्हें भी एक या दो वर्ष तक गाइड किया जाता है. हालांकि पिछले पांच वर्ष से टैलेंट सर्च से आनेवाले सभी बच्चे मेडिकल और आईआईटी पास किए हैं.