दुनिया का पहला हॉस्टल, 10 हजार से ज्यादा छात्र, जी20 में देखने लायक थी शान

बिहार : देश की राजधानी दिल्ली में हुए जी20 शिखर सम्मेलन ने दुनियाभर में सुर्खियां बटोरीं (G20 Summit). इस खास अवसर पर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक व जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा समेत कई जाने-माने राजनेता भारत आए थे. डिनर से पहले भारत मंडपम में इन सभी का भव्य स्वागत किया गया. इसके बैकड्रॉप में नालंदा यूनिवर्सिटी की फोटो लगी हुई थी.

नालंदा विश्वविद्यालय को तक्षशिला के बाद दुनिया का दूसरा सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय माना जाता है. सिर्फ यही नहीं, यह दुनिया का पहला रेजिडेंशियल यानी आवासीय विश्वविद्यालय भी है. इसकी स्थापना 5वीं सदी में हुई थी और इसका अस्तित्व 800 सालों तक रहा. इसमें 9 मंजिला पुस्तकालय था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यहां एक समय में 3 लाख से भी ज्यादा पुस्तकें हुआ करती थीं.

नालंदा यूनिवर्सिटी में 300 कमरे थे. यहां छात्रों का सेलेक्शन मेरिट के आधार पर होता था. नि:शुल्क शिक्षा के साथ ही वहां रहना-खाना भी फ्री में होता था. इस विश्वविद्यालय में 10 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स पढ़ाई करते थे. उनके लिए 2700 से ज्यादा शिक्षक भी थे. नालंदा दुनिया के पहले अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में से एक है यानी यहां सिर्फ भारतीय ही नहीं, बल्कि विदेशी स्टूडेंट्स भी पढ़ाई करते थे.

गुप्त वंश के शासक सम्राट कुमारगुप्त ने 5वीं सदी में नालंदा यूनिवर्सिटी की स्थापना की थी. यहां साहित्य, ज्योतिष, मनोविज्ञान, कानून, एस्ट्रोनॉमी, साइंस, वॉरफेयर, इतिहास, गणित, आर्किटेक्टर, लैंग्‍वेज साइंस, अर्थशास्त्र, मेडिसिन समेत कई विषय पढ़ाए जाते थे. बिहार के राजगीर में नालंदा की तर्ज पर नई नालंदा यूनिवर्सिटी स्थापित की गई है.

नालंदा शब्द संस्कृत के तीन शब्दों- ना+आलम+दा के संधि-विच्छेद से बना है. हिंदी में इसका मतलब ‘ज्ञान रूपी उपहार पर कोई प्रतिबंध न रखना’ है. चीन के हेनसांग और इत्सिंग ने नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास ढूंढा था. ये दोनों 7वीं शताब्दी में भारत आए थे. इन्होंने चीन लौटकर नालंदा के बारे में लिखा था और इसे दुनिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय बताया था.

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