बिहार : विधानसभा के पिछले चुनाव में खराब अनुभव से गुजर चुके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब टिकट बंटवारे में किसी और का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करेंगे। दो दिनों से वे संगठन के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं। सोमवार को जदयू के जिलाध्यक्षों की बैठक में उन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए अप्रत्यक्ष रूप से आरसीपी सिंह को जिम्मेदार ठहराया। नीतीश कुमार ने सिंह का नाम लिए बिना कहा कि एक व्यक्ति पर भरोसा करने का नुकसान भुगत रहे हैं। अब ऐसा नहीं होगा। अगले साल के लोकसभा और 2025 के विधानसभा चुनावों में टिकटों का बंटवारा स्वयं करेंगें।
कौन होगा उम्मीदवार?
नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने सिंह का नाम लिए बिना कहा कि एक व्यक्ति पर भरोसा करने का नुकसान भुगत रहे हैं। अब ऐसा नहीं होगा। अगले साल के लोकसभा और 2025 के विधानसभा चुनावों में टिकटों का बंटवारा स्वयं करेंगें।
कौन होगा उम्मीदवार?
नीतीश कुमार ने जिलाध्यक्षों को भरोसा दिलाया कि आप ही लोग उम्मीदवार होंगे। इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं है। अचानक संगठन से जुड़े पदाधिकारियों की बैठक को लेकर राजनीतिक गलियारे में कई चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
नीतीश को पार्टी के पुराने लोगों पर अधिक भरोसा
इनमें से एक यह भी कि क्या नीतीश समय से पूर्व ही विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं। वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल नवम्बर 2025 में समाप्त होगा। समय से पूर्व चुनाव की संभावना तर्कपूर्ण नहीं है, लेकिन यह निश्चित है कि संगठन के मामले में नीतीश काफी सतर्क हैं। वे पार्टी के पुराने लोगों पर अधिक भरोसा कर रहे हैं। इन बैठकों के मंच पर वशिष्ठ नारायण सिंह, बिजेंद्र प्रसाद यादव और विजय कुमार चौधरी जैसे नेताओं को भाव दिया जा रहा है। ये सब जदयू के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं।

यह भी संकेत मिल रहा है कि नीतीश मनोनयन से भरे जाने वाले पदों पर सक्रिय कार्यकर्ताओं को बिठाने जा रहे हैं। उन्होंने जिला 20 सूत्री कमेटियों के गठन के बारे में जिलाध्यक्षों को कहा कि मैंने अपने हिस्से का काम पूरा कर लिया है। वशिष्ठ नारायण सिंह, बिजेंद्र यादव और विजय चौधरी आपसी विमर्श के बाद इसके बारे में आपको जानकारी देंगे। नीतीश यह भी चाह रहे थे कि जिलाध्यक्ष बताएं कि संगठन के मामले में सरकार के मंत्रियों से सहयोग मिल रहा है या नहीं? अधिसंख्य जिलाध्यक्षों ने चुप्पी साध ली, जबकि उत्तर बिहार के एक जिलाध्यक्ष ने कहा कि उन्हें मंत्रियों से किसी तरह का सहयोग नहीं मिल रहा है। 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू की जीत 71 सीटों पर हुई थी। वह 2020 में 43 पर सिमट गई। उस चुनाव के समय आरसीपी सिंह जदयू के सांगठनिक महासचिव थे। टिकटों के बंटवारे में उनकी बड़ी भूमिका थी। कभी आरसीपी के बेहद करीबी रहे अभय कुशवाहा भी बैठक में उपस्थित थे। अभय ने कहा कि उनकी हार विधानसभा क्षेत्र बदलने के कारण हो गई थी।