ये तो हद है! बिहार में पुल, रेल इंजन के बाद अब बेची सरकारी स्कूल….

पटना. 2 साल पहले आपने पूर्णिया कोर्ट स्टेशन से रेलवे इंजन के स्क्रैप की चोरी सुना था. कहीं पुल की चोरी तो कहीं सड़क की चोरी के किस्से भी अपने कई बार सुने हैं. लेकिन, पूर्णिया में एक सरकारी स्कूल की ही चोरी का मामला सामने आया है, जहां फर्जी तरीके से काफी पुरानी एक सरकारी स्कूल राजा पृथ्वी चंद उच्च विद्यालय की 8 डिसमिल जमीन ब्रोकरों ने बेच दी. जबकि इस जमीन पर 1957 ई से ही सरकारी विद्यालय का भवन बना है और स्कूल चल भी रहा है.

पूर्णिया में एक सरकारी स्कूल की ही चोरी का मामला सामने आया है, खास बात यह कि इस जमीन की बिक्री में रजिस्ट्री ऑफिस के कर्मियों ने भी ब्रोकरों का साथ दिया. स्कूल के प्रधानाध्यापक अशोक प्रसाद यादव ने कहा कि इस स्कूल को राजा पृथ्वी चंद ने बहुत पहले जमीन दान में दी थी. जिसका की डिग्री भी कोर्ट द्वारा स्कूल के पक्ष में हुआ था. लेकिन, इस जमीन का पहले म्यूटेशन नहीं कराया गया था. इस बीच फर्जी तरीके से इस स्कूल के कुछ पूर्ववर्ती छात्रों मोहम्मद मंजर और शाहबाज ने स्कूल की 8 डिसमिल जमीन बेच दी.

खास बात यह की स्कूल की जमीन की फोटोग्राफी के समय रजिस्ट्री ऑफिस के स्टाफ ने पीछे की तरफ से फोटोग्राफी किया ताकि स्कूल नजर नहीं आए. साथ ही मुख्य सड़क की जमीन को निजी सड़क दिखाकर बहुत कम रजिस्ट्री फीस सरकार को दिया गया. उन्होंने कहा कि इस बाबत उसने खरीदने और बेचने वाले के अलावा जो गवाह और पहचान कर्ता है उनके खिलाफ भी सदर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई है. वहीं सदर थाना की पुलिस फिलहाल मामले की जांच कर रही है. इधर नगर निगम की महापौर विभा कुमारी के पति जितेंद्र यादव ने कहा कि स्कूल की जमीन के बिक्री में भू मा’फिया के साथ रजिस्ट्री ऑफिस के रजिस्टार और वहां के कर्मी भी शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि एक तो स्कूल की जमीन की जो फोटोग्राफी की गई इसमें स्कूल को सामने से ना दिखाकर पीछे से फोटोग्राफी कर दिया गया और गलत तरीके से कम राजस्व देकर स्कूल की जमीन को रजिस्ट्री कर दिया गया. उन्होंने कहा कि इस बाबत उन्होंने डीएम से लेकर राज्य सरकार तक को लिखा है और इसकी ऊंच्चस्तरीय जांच की मांग की है. उन्होंने कहा कि यहां के जमीन माफिया पहले भी कई सरकारी जमीन नदी नाले को भी बेच दिया है, जिस कारण जलजमाव की बड़ी समस्या है.
हालांकि सूचना मिलते ही डीएम कुंदन कुमार ने इस मामले में त्वरित जांच कमेटी बैठा दी और जमीन का म्यूटेशन स्कूल के नाम से करने का आदेश दिया गया. सवाल उठता है की क्या सरकारी तंत्र इतना भ्रष्ट हो गए हैं कि अब सरकारी संपत्ति को ही बेचकर सरकार को ही राजस्व का चूना लगाने में लगे हैं. बहरहाल देखना है कि ऐसे भ्रष्ट कर्मियों पर और भू माफियाओं पर कब तक कार्रवाई होती है.

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