बिहार : सर्वोच्च न्यायालय आज उस याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें बिहार में जाति जनगणना सर्वे रिपोर्ट का विरोध किया गया है. बीते दो अक्टूबर को जारी जातीय गणना आंकड़े जारी होने के बाद अगले दिन ही 3 अक्टूबर को याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट से जातीय आंकड़े जारी किए जाने के मामले में हस्तक्षेप की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया था और सुनवाई के लिए 6 अक्टूबर की तारीख निर्धारित की थी. इस मामले की सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की बेंच में होगी.
बता दें कि याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि पहले बिहार सरकार की ओर से सर्वे से जुड़ा आंकड़ा प्रकाशित नहीं करने की बात सुप्रीम कोर्ट से कही गई थी, बावजूद इसके इसे प्रकाशित कर दिया गया. इसी के विरोध में अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई और इसकी तुरंत सुनवाई की मांग की गई थी. लेकिन, उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा था कि हम इस मामले को छह अक्तूबर को ही दलील सुनेगा.
बता दें कि बिहार सरकार द्वारा जारी किए गए जातिगत आंकड़े के अनुसार, बिहार की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ में ईबीसी 36 प्रतिशत सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग है. इसके बाद ओबीसी 27.13 प्रतिशत आबादी के साथ दूसरे स्थान पर है. इसके बाद अनुसूचित जाति 19 प्रतिशत और मुस्लिम समुदाय 17.70 प्रतिशत है. सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि ओबीसी समूह में शामिल यादव समुदाय 14 प्रतिशत से कुछ अधिक जनसंख्या के लिहाज से सबसे बड़ा सुमदाय है.

गौरतलब है कि बीते अगस्त की पहली तारीख को पटना हाईकोर्ट ने जातीय गणना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं खारिज कर दीं थीं. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सरकार चाहे तो गणना करा सकती है. इसके बाद नीतीश सरकार ने जातीय गणना को लेकर आदेश जारी कर दिया था. हालांकि, सरकार ने कोर्ट में इसे सर्वे कहा था और आंकड़े सार्वजनिक नहीं करने की बात कही थी. लेकिन, जानकार बताते हैं कि लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर सरकार ने चुनावी लाभ लेने की दृष्टि से इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी है.