गुलेल लेकर अपनी ही वर्दी की रखवाली कर रहें पुलिसकर्मी, बंदरों के आतंक से है परेशान

बक्सर : अपराधियों के छक्के छुड़ाने वाली सिमरी पुलिस फिलहाल बंदरों से आतंकित है। आलम यह है कि विभागीय फाइलों के साथ-साथ खुद की सुरक्षा को लेकर परेशान पुलिस उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई करने की साहस नहीं जुटा पा रही है। चूंकि वन्यजीव क्रूरता अधिनियम का खौफ बंदरों के खिलाफ कुछ करने से पूर्व उनकी ताकत को शिथिलता प्रदान कर रहा है।

थाने में तैनात पुलिसकर्मियों का कहना है कि पिछले एक माह से बंदरों का उत्पात इस कदर बढ़ गया है कि दिन-रात बैरक का दरवाजा बंद रखना पड़ रहा है। यदि थोड़ा भी असावधानी बरती गई तो बैरक के अंदर घुसकर कपड़े फाड़ देना इनकी दैनिक दिनचर्या में शुमार हो गया है।

 

हथियार की जगह सिपाहियों के हाथ में गुलेल

पुलिसकर्मियों का कहना है कि कुछ ऐसी ही स्थिति थाना कार्यालय की भी है, जहां मुंशी जी को आवश्यक कार्य निपटाने की बजाय इनकी गतिविधियों पर विशेष नजर रखनी पड़ रही है। बंदरों के आतंक का आलम यह है कि पुलिसकर्मी हथियार की जगह हाथों में गुलेल लेकर उनके पीछे-पीछे दौड़ लगाने को मजबूर हो गए हैं। ऐसा नहीं कि वन विभाग के अधिकारी इससे अनभिज्ञ हैं, परंतु उनकी असंवेदनशीलता के कारण पुलिसकर्मियों को भारी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं।

क्या बोले थानाध्यक्ष?

बहरहाल, इस मामले में जब थानाध्यक्ष अमन कुमार से संपर्क स्थापित किया गया, तो उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर बंदरों के चलते परेशानियां बढ़ी हैं और इन्हें पकड़ने वालों से संपर्क साधने की कोशिशें जारी हैं। उन्होंने उम्मीद जाहिर करते हुए कहा कि बहुत जल्द इसका समाधान हो जाएगा।

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