बिहार : जातीय गणना तो लेकर एक बार फिर बिहार में सियासत तेज है। एक तरफ जहां नीतीश-तेजस्वी इसे बड़ा कदम बता रहे हैं, तो दूसरी तरफ विपक्ष नेता सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर रहे हैं। लोजपा (आर) के मुखिया चिराग पासवान ने तो यहां तक कह दिया कि जातीय गणना बिहार में हुई ही नहीं है। चिराग पासवान ने खुद का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके गांव में किसी भी सदस्य से जाति को लेकर कोई सवाल नहीं पूछे गए। ना ही उनके परिवार के किसी सदस्य से कोई जानकारी ली गई। चिराग पासवान ने कहा कि मेरे पास ही सर्वे के लिए कोई नहीं आया। ऐसे में इस सर्वे पर सवाल उठने लाजिमी है।
लोजपा (आर) के मुखिया ने कहा कि जातीय सर्वे बंद दरवाजों में हुआ है। यह सिर्फ जातीय राजनीति का हथकंडा है। चिराग पासवान ने कहा कि जबसे जातीय गणना के आंकड़े आए हैं, जिसमें यकीनन भारतीय जनता पार्टी ने समर्थन किया, हमने भी इसका समर्थन किया, मगर हकीकत यह है कि जातीय गणना हुई ही नहीं है।

‘मैं अपना उदाहरण दे रहा हूं…’
चिराग पासवान ने कहा, कितने ही ऐसे परिवार हैं, जो आए दिन आकर हमसे मिलते हैं और बोलते हैं कि हमसे तो कुछ पूछा ही नहीं गया… मैं अपना उदाहरण दे रहा हूं, ना हमसे ना हमारे परिवार से कुछ नहीं पूछा गया।” पासवान ने कहा कि बंद कमरों में जातीय सर्वे के आंकड़ों को तैयार किया गया है। चिराग पासवान ने कहा कि सरकार ने उन जातियों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया है, जिनसे उनको फायदा हो सकता है। पिछड़े वर्ग की कई ऐसी जातियां हैं, जिनको कम करके दिखाया है। सिर्फ अपनी राजनीति महत्वकांक्षाओं को पूरा करने के लिए ये किया गया है। पासवान ने कहा कि हाल ही में हुए चुनाव में विपक्ष ने जातिगत सर्वे का मुद्दा उठाया, लेकिन जनता ने इसे नकार दिया। जनता जानती है कि इसमें धांधली हुई है।