बिहार शिक्षा विभाग की बड़ी ग’ड़बड़ी आई सामने, 10वीं की किताब में 12 साल से शेर को बता रहें बाघ….

बिहार सरकार द्वारा सरकारी विद्यालयों के लिए निर्धारित कक्षा दशम के संस्कृत विषय की पाठ्य-पुस्तक पीयूषम द्वितीयो भाग: के एकादश पाठ व्याघ्रपथिक कथा में वर्षों से शेर के चित्र को बाघ बताकर पढ़ाया जा रहा है। पाठ्य पुस्तक में गलत चित्र की जानकारी देकर छात्रों के बीच भ्रम की स्थिति उत्पन्न की जा रही है। इससे बिहार सरकार की पाठ्य-पुस्तक की गुणवत्ता पर सवालिया निशान लग रहा है।

बारह साल से शेर को बाघ कह रहे बच्‍चे

जानकारी के अनुसार, वर्ष 2011 से बिहार सरकार द्वारा कक्षा दशम में संस्कृत विषय की पुस्तक पीयूषम द्वितीयो भाग: में के एकादश पाठ में नारायण पंडित द्वारा रचित हितोपदेश के मित्र लाभ नामक खंड से संकलित व्याघ्रपथिक कथा (बाघ एवं पथिक की कहानी) का समावेश किया गया है। लेकिन, पाठ की शुरुआत में चित्र में बाघ के स्थान पर शेर का अंकन किया गया है।

इस गलती पर विगत बारह वर्षों से किसी भी विभागीय पदाधिकारी व राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद बिहार, पटना के लेखक समूह व शिक्षकों का ध्यान नहीं गया है। इस संबंध में लखीसराय के संस्कृत शिक्षक सह प्रतिभा चयन एकता मंच के सचिव पीयूष कुमार झा ने एससीईआरटी पटना से जब सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी तब जाकर पाठ्य पुस्तक लेखक समूह व अधिकारियों की नींद खुली।

बिहार में बच्‍चों के भविष्‍य के साथ खिलवाड़

इसके बाद परिषद ने लिखित रूप से गलती स्वीकार करते हुए पाठ्य पुस्तक के अगले प्रकाशन में सुधार का आश्वासन एससीईआरटी के पत्रांक -275 दिनांक 22-1-2024 द्वारा दिया है। इसके अलावा इसी पुस्तक के त्रयोदश: पाठ: विश्व शांति में जलियावाला बाग की तस्वीर अंकित है। जबकि लेख में जलियावाला बाग का जिक्र नहीं है। इस पर भी शिक्षक पीयूष कुमार झा ने आपत्ति दर्ज करते हुए शांति के प्रतीक की तस्वीर अंकित करने का अनुरोध किया। इस शिकायत पर भी सुधार प्रक्रिया शुरू करने की बात जारी है। शिक्षक पीयूष कुमार झा ने स्पष्ट कहा कि पाठ्य पुस्तक और पाठ्य सामग्री के संकलन में शिक्षा विभाग पूरी तरह से निष्क्रिय बना हुआ है। अन्य सरकारी कार्य की तरह ही इसे भी हल्के तरीके से लेकर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

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