बिहार : इस नेता ने भागलपुर लोकसभा सीट पर ठोक दी ताल, जेडीयू में दावेदारी का खेल शुरू

गोपाल मंडल लड़ेंगे लोकसभा चुनाव, सीट बंटवारा से पहले जेडीयू में दावेदारी का खेल शुरू हो गया है। जेडीयू विधायक गोपाल मंडल ने एक बार फिर भागलपुर लोकसभा सीट से ताल ठोक दी है। उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा का बजट सत्र खत्म होने के बाद वह लोकसभा क्षेत्र का दौरा करेंगे। उन्होंने दावा किया कि उनका टिकट पक्का है, आगामी चुनाव में जेडीयू से भागलपुर के वे ही उम्मीदवार होंगे एवं 3 से 4 लाख वोटों से जीत दर्ज करेंगे। बता दें कि इस सीट से अभी जेडीयू के ही अजय मंडल सांसद हैं। आगामी चुनाव में यह सीट बीजेपी या जेडीयू किस पार्टी के खाते में जाती है, यह अभी तय नहीं हुआ है।

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बीजेपी ने गोपाल मंडल लंबे समय से लोकसभा चुनाव के लिए दावेदारी कर रहे हैं। जेडीयू जब महागठबंधन में थी तब भी वे लगातार इस सीट पर चुनाव लड़ने की बात कह रहे थे। उन्होंने गुरुवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि भागलपुर से वे ही लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। पिछले चुनाव में यह सीट जेडीयू के पास थी। इस बार भी उनकी पार्टी को ही मिलेगी। उन्होंने दावा किया कि लोकसभा चुनाव में उनकी जीत सुनिश्चित है। पहले वे 2 लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज करने का दावा कर रहे थे। अब उन्होंने कहा कि वह 3 से 4 लाख वोटों से जीतेंगे। गोपाल मंडल ने कहा कि जेडीयू के आरजेडी से नाता तोड़ने पर लोकसभा चुनाव में कोई नुकसान नहीं होगा।

जेडीयू जब महागठबंधन में थी तब भी गोपाल मंडल ने लोकसभा की दावेदारी पेश की थी। उस समय कांग्रेस नेताओं से उनकी तकरार भी हुई। गोपाल मंडल ने कहा था कि भागलपुर में कांग्रेस भागवत झा के जमाने से ही खत्म हो गई थी। अब क्षेत्र में इस पार्टी का वजूद नहीं है। यहां से कांग्रेस अगर विधायक अजीत शर्मा को टिकट देगी तो भी वे चुनाव नहीं जीत पाएंगे। उनकी क्षेत्र में पकड़ नहीं है। मंडल ने आरोप लगाया कि वे पैसे के बल पर चुनाव जीतते हैं।

भागलपुर लोकसभा सीट का हाल
पूर्वी बिहार का प्रमुख लोकसभा क्षेत्र रहा है। एक जमाने में यह कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था। 1989 में हुए भागलपुर दंगे के बाद यहां कांग्रेस की जमीन खिसक गई। इसके बाद यहां बीजेपी, आरजेडी, सीपीएम और जेडीयू के उम्मीदवार जीतते रहे। शाहनवाज हुसैन, सुशील मोदी जैसे बीजेपी के बड़े नेता यहां से सांसद रह चुके हैं। 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी। हालांकि, 2014 में यह सीट आरजेडी के कब्जे में चली गई। 2019 में एनडीए गठबंधन में यह सीट जेडीयू के खाते में आई और अजय मंडल चुनाव जीते।

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