कोसी की धारा की तरह असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम भी सीमांचल में अपना राजनीतिक पैंतरा बदल रही है। सीमांचल की पूर्णिया और कटिहार सीट से अंतिम समय में प्रत्याशी को नामांकन से मना कर दिया गया। यह मुस्लिम वोट को एकजुट रखने के लिए उठाया गया कदम बताया जा रहा है। पार्टी के शीर्ष नेताओं का कहना है कि किशनगंज सीट पर उनका मुकाबला दमदार होगा।

कटिहार और पूर्णिया में इस वजह से नहीं उतारा उम्मीदवार
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने कटिहार से कांग्रेस प्रत्याशी तारिक अनवर के कारण उम्मीदवार नहीं दिया। पूर्णिया में मुस्लिम हित की रक्षा का ख्याल रखने वाले का समर्थन किया जाएगा। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आदिल हुसैन ने कहा कि यह बात पूरी तरह बेबुनियाद है कि पार्टी सिर्फ किशनगंज से चुनाव लड़ेगी। अररिया लोकसभा सीट के लिए उम्मीदवार तय है, जल्द ही घोषणा होगी। उन्होंने बताया कि किशनगंज में प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान स्वयं चुनाव मैदान में हैं।2019 के लोकसभा चुनाव में मात्र 65 हजार वोटों से उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। इस बार पार्टी उन कारणों की तलाश कर जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त है। प्रदेश अध्यक्ष अपने चुनाव से जैसे ही मुक्त होंगे, राज्य की अन्य सीटों पर सब कुछ स्पष्ट दिखने लगेगा।

इन 8 सीटों पर ओवैसी जल्द करेंगे उम्मीदवारों की घोषणा
पार्टी जल्द ही दरभंगा, मधुबनी, शिवहर, गोपालगंज, बक्सर, काराकाट और पाटलिपुत्रा से अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करेगी। सिवान के मुद्दे पर भी जल्द निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का भी यह मानना है कि किशनगंज के चुनाव की समाप्ति के बाद ही पार्टी के कार्यकर्ता दूसरे जिलों में जाकर दमदारी से चुनाव प्रचार करें।

पूर्णिया में मुस्लिम हित की रक्षा करने वाले प्रत्याशी की मदद करेंगे
मुस्लिम वोट में बिखराव रोकने की कवायद सीमांचल में मुस्लिम वोट का बिखराव नहीं हो इसके लिए गैर राजनीतिक संगठनों ने भी पहल शुरू कर दी है। इसकी बानगी राज्यसभा सदस्य अशफाक करीम द्वारा पूरी तैयारी के बाद भी अंतिम समय में कटिहार से नामांकन नहीं करने के रूप में देखा जा रहा है। वहीं, कई प्रत्याशी के नाम वापसी की भी संभावना है।

एआइएमआइएम के राष्ट्रीय प्रवक्ता आदिल हुसैन का कहना है कि वोटरों का मन-मिजाज देखकर ही निर्णय लिया जा रहा है। पार्टी का एक ही उद्देश्य है कि समाज में सांप्रदायिकता का जहर घोलने वाली पार्टी को सत्ता में आने से रोका जाए। 26 अप्रैल के बाद जैसे ही किशनगंज का चुनाव समाप्त होगा, अन्य सीटों पर पार्टी की गतिविधियां दिखने लगेंगी।
